आरती ॐ जय जगदीश हरे (Aarti Om Jai Jagdish Hare)

जगदीश जी की आरती का बहुत अधिक महत्व है जो भी जातक वृहस्पति देव की कृपा पाना चाहते हैं उनको भी जगदीश जी की आरती जरूर गाना चाहिए | आरती ॐ जय जगदीश हरे (Aarti Om Jai Jagdish Hare) गाने का मेरा व्यक्तिगत अनुभव रहा है की जब भी Aarti Om Jai Jagdish Hare आरती को गाते हैं तो जैसे लगता है प्रभु रोम रोम में बस गयें हैं |

अतः आप सभी लोग नित्य पढ़िए यदि नित्य पढना संभव न हो तो कम से कम सप्ताह में एक दिन वृहस्पतिवार को प्रभु जी की आरती Aarti Om Jai Jagdish Hare (ॐ जय जगदीश हरे) जरूर पढ़ें |

आरती ॐ जय जगदीश हरे: Aarti Om Jai Jagdish Hare

जय जगदीश हरे,

स्वामी जय जगदीश हरे |

भक्त जनों के संकट,

दास जनों के संकट,

क्षण में दूर करे ||

|| जय जगदीश हरे ||

 

जो ध्यावे फल पावे,

दुःख बिन से मन का,

स्वामी दुःख बिन से मन का |

सुख सम्पति घर आवे,

सुख सम्पति घर आवे.

कष्ट मिटे तन का ||

 || जय जगदीश हरे ||


मात-पिता तुम मेरे,

शरण गहुँ मैं किसकी,

स्वामी शरण गहुँ मैं किसकी |

तुम बिन और दूजा,

आस करूं मैं जिसकी ||

|| जय जगदीश हरे ||


तुम पूरण परमात्मा,

तुम अन्तर्यामी,

स्वामी तुम अन्तर्यामी |

पारब्रम्ह परमेश्वर,  

पारब्रम्ह परमेश्वर,

तुम सबके स्वामी ||

|| जय जगदीश हरे ||


तुम करुणा के सागर,

तुम पालनकर्ता,

स्वामी तुम पालनकर्ता |

मैं मूरख फलकामी,

मैं सेवक तुम स्वामी,

कृपा करो भर्ता ||

|| जय जगदीश हरे ||


तुम हो अगोचर,

सबके प्राणपति,

स्वामी सबके प्राणपति |

किस विधि मिलूं दयामय,

तुमको मैं कुमति ||

|| जय जगदीश हरे ||


दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,

ठाकुर तुम मेरे,

रक्षक तुम मेरे |

अपने हाथ उठाओ,

अपने शरण लगाओ,

द्वार पड़ा तेरे ||

|| स्वामी जय जगदीश हरे ||


विषय-विकार मिटाओ,

पाप हरो देवा,

स्वामी पाप हरो देवा |

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

संतन की सेवा ||

|| स्वामी जय जगदीश हरे ||


तन मन धन,

सब कुछ है तेरा,

स्वामी सब कुछ है तेरा | 

तेरा तुझको अर्पण,

 क्या लागे मेरा ||

|| ॐ जय जगदीश हरे ||


श्री जगदीश जी आरती,

जो कोई नर गावे,

स्वामी प्रेम सहित गावे,  

कहत शिवानन्द स्वामी,

कहत शिवानन्द स्वामी,

मनवांछित फल पावे |

 जय जगदीश हरे,

स्वामी जय जगदीश हरे |

भक्त जनों के संकट,

दास जनों के संकट,

क्षण में दूर करे ||

||  जय जगदीश हरे ||

|| ॐ जय जगदीश हरे ||

|| जय जगदीश हरे ||


"आरती समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु के इस चमत्कारिक मंत्र जो कि नीचे दिया गया है| इस मंत्र को 51 बार 21 बार या कम से कम 11 बार अवश्य ज़प करें|

  1. ||ॐ नमों भगवते वसुदेवाय ||
  2. ||ॐ नमों भगवते वसुदेवाय ||
  3. ||ॐ नमों भगवते वसुदेवाय ||
  4. ||ॐ नमों भगवते वसुदेवाय ||
  5. ||ॐ नमों भगवते वसुदेवाय ||
  6. ||ॐ नमों भगवते वसुदेवाय ||
  7. ||ॐ नमों भगवते वसुदेवाय ||
  8. ||ॐ नमों भगवते वसुदेवाय ||
  9. ||ॐ नमों भगवते वसुदेवाय ||
  10. ||ॐ नमों भगवते वसुदेवाय ||
  11. ||ॐ नमों भगवते वसुदेवाय ||

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