दुर्गा चालीसा आरती पढ़ें एवं PDF डाउनलोड करें |

मां दुर्गा जी की भक्ति अगर आप करते है, तो बिलकुल सही जगह पर हैं आप जानिए मां दुर्गा जी की चालीसा आरती सहित एवं आरती के बाद क्षमा प्रार्थना हिंदी और संस्कृत भाषा में दिया गया है | साथ ही साथ दुर्गा चालीसा आरती सहित pdf भी आप लोगों के लिए दिया गया है, जिसको पढ़ सकते हैं और डाउनलोड भी कर सकते हैं|

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श्री दुर्गा चालीसा "नमो नमो दुर्गे सुखकरनी, नमों नमों अंबे दुख हरनी" का पाठ नित्य करने मां दुर्गा की आरती से जातक के ऊपर मां की कृपा बनी रहती है। यदि मां दुर्गा जी की चालीसा आरती के साथ कोई भी व्यक्ति मां विन्धेश्वरी चालीसा एवं विंधेश्वरी स्तोत्र का पाठ करता है, तो व्यक्ति अतुल वैभव को प्राप्त करता है।

ज्योतिषाचार्य गौरव के अनुसार जो भी व्यक्ति नवरात्रि के दिनों में श्री दुर्गा चालीसा आरती सहित पाठ करता है, उस व्यक्ति के ऊपर दुर्गा मां की कृपा बनी रहती है। व्यक्ति का मन प्रसन्न रहता है। मां दुर्गा जी सभी सुखों को देने वाली मानी जाती हैं।


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दुर्गा चालीसा में इस बात का उल्लेख भी है - "परी गाढ़ संतन पर जब जब, भई सहाय मातु तुम तब तब" अर्थात दुर्गा चालीसा के नित्य पाठ करने से कोई भी जातक जब विपरीत परिस्थिति अर्थात मुसीबतों में रहता है तो मां दुर्गा साक्षात रक्षा करती हैं। इस पोस्ट में मां दुर्गा जी की संपूर्ण आरती एवं चालीसा प्रस्तुत है।

आइए पढ़ते हैं, मां दुर्गा जी की चालीसा आरती,

दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa)

नमो नमो दुर्गे सुख करनी नमो नमो दुर्गे सुख हरनी|1| 

निरंकार है ज्योति तुम्हारी तिहूँ लोक फैली उजियारी |2|

शशि ललाट मुख महा विशाला नेत्र लाल भृकुटी विकराला|3|

रूप मातु को अधिक सुहावे दरश करत जन अति सुख पावे|4|

तुम संसार शक्ति लै कीन्हा पालन हेतु अन्न धन दीना|5|

अन्नपूर्णा हुई जग पाला तुम ही आदि सुंदरी बाला|6|

प्रलयकाल सब नाशन हारी तुम गौरी शिव शंकर प्यारी|7|

शिव योगी तुम्हरे गुण गावे ब्रह्मा विष्णु तुम्हे नित ध्यावे|8|

रूप सरस्वती को तुम धरा दे सद्बुद्धि ऋषि मुनिन उबरा|9|

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा परगट भाई फाड़कर खम्भा।10।

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो हिरण्यकुश को स्वर्ग पठायो।11।

लक्ष्मी रूप धरो जग माही श्री नारायण अंग समाही।12।

क्षीर सिन्धु में करत विलासा दया सिन्धु दीजै मन आसा।13।

हिंगलाज में तुम्ही भवानी महिमा अमित न जात बखानी।14।

मातंगी अरु धूमावति माता भुवनेश्वरी बंगला सुख दाता।15।

श्री भैरव तारा जग तारिणी छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी।16।

केहरि वाहन सोह भवानी लांगुर  वीर चालत अगवानी।17।

कर में खप्पर खड्ग विराजे जाको देख काल डर भाजे|18|

सोहे अस्त्र और त्रिशूला जाते उठत शत्रु हिय शूला|19|

नगर कोट में तुम्ही विराजत तिहूँ लोक में डंका बाजत|20|

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे रक्तबीज शंखन संहारे|21|

महिषासुर नृप अति अभिमानी जेहिं अघ भार मही अकुलानी|22|

रूप कराल कालिका धारा सेन सहित तुम तिहि संहारा|23|

परी गाढ़ संतन पर जब जब भई सहाय मातु तुम तब तब|24|

अमर पुरी अरू बासव लोका तब महिमा सब रहें अशोका|25|

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी तुम्हें सदा पूजें नर नारी|26|

प्रेम भक्ति से जो यश गावें दुख दारिद्र निकट नहिं आवें|27|

ध्यावें तुम्हें जो नर मन लाई जन्म मरण ताको छुटि जाई|28|

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी योग न हो बिन सकती तुम्हारी|29|

शंकर अचरज तप लय कीन्हों काम अरू क्रोध जीति सब लीन्हों|30|

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को काहु काल नहिं सुमिरो तुमको|31|

शक्ति रूप को मरम न पायो शक्ति गई तब मन पछतायो।32।

शरणागत हुई कीर्ति बखानी जय जय जय जगदम्ब भवानी।33।

भई प्रशन्न आदि जगदम्बा दई शक्ति नहिं कीन्ह बिलंबा।34।

मोको मातु कष्ट अति घेरो तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो|35|

आशा तृष्णा निपट सतावे मोह मदादिक सब बिनशावें|36|

शत्रु नाश कीजै महारानी सुमिरौं एकचित तुम्हें भवानीं|37|

करो कृपा हे मातु दयाला रिद्धि सिद्धि दे करहु निहाला|38|

जब लगी जिऊँ दया फल पाऊं तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं|39|

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावे सब सुख भोग परमपद पावे|40|

देवी दास शरण निज जानी करो कृपा जगदम्ब भवानी|41|

दोहा-"शरणागत रक्षा करे भक्त रहे निशंक|
मैं आया तेरी शरण में मातु लीजिये अंक"
|जय माता दी।इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्णं।जय माता दी|

दुर्गा जी की आरती: (Durga Chalisa Aarti)


जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी|
तुमको निशदिन ध्यावत मैया जी को निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी|

।।ॐ जय अम्बे गौरी।।

मांग सिंदूर बिराजत,
टीको मृगमद को,
मैया टीको मृगमद को,
उज्ज्वल से दोऊ नैना,
उज्ज्वल से दोऊ नैना,
चंद्रवदन नीको.....
।।ॐ जय अम्बे गौरी।2।

कनक समान कलेवर,
रक्तांबर राजै,
मैया रक्तांबर राजै,
रक्त पुष्प गलमाला,
रक्त पुष्प गलमाला,
कंठन पर साजै.....
।।ॐ जय अम्बे गौरी।3।

केहरि वाहन राजत,
खड़ग खप्पर धारी,
मैया खड़ग खप्पर धारी,
सुर नर मुनि जन सेवत,
तिनके दुःख हारी.....
।।ॐ जय अम्बे गौरी।4।

कानन कुंडल सोभित,
नसाग्रे मोती,
कोटिक चंद्र दिवाकर,
कोटिक चंद्र दिवाकर,
राजत सम ज्योति.....
।।ॐ जय अम्बे गौरी।5।

शुंभ निशुंभ बिदारे महिषासुर घाती|
मैया महिषासुर घाती.......
धूम्र विलोचन नैना..धूम्र विलोचन नैना..निशिदिन मदमाती..|
।।ॐ जय अंबे गौरी।6।

चंड मुंड संहारे,
शोणित बीज हरे,
मैया शोणित बीज हरे,
मधु कैटभ दोउ मारे,
मधु कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे.....
।।ॐ जय अंबे गौरी।7।

ब्रम्हाणी रुद्रानी,
तुम कमला रानी,
मैया तुम कमला रानी, 
आगम निगम बखानी,
आगम निगम बखानी,
तुम शिवपट रानी.....
।।ॐ जय अंबे गौरी।8।

चौसठ योगिनी
मंगल गावत नृत्य करत भैरों, 
मैया नृत्य करत भैरों,
बाजत ताल मृदंगा,
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू.....
।।ॐ जय अंबे गौरी।9।

तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
मैया तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता,
भक्तन की दुख हरता,
सुख संपत्ति करता.....
।।ॐ जय अम्बे गौरी।10।

भुजा चार अति शोभित,
वर मुद्रा धारी,
मैया वर मुद्रा धारी,
मनवांछित फल पावत,
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी.....
।।ॐ जय अम्बे गौरी।11।

कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती,
श्री मालकेतु में राजत,
श्री मालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योति.....
।।ॐ जय अम्बे गौरी।12।

श्री अम्बे जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
मैया प्रेम सहित गावे, 
कहत शिवानंद स्वामी,
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख संपति पावे.....
।।ॐ जय अम्बे गौरी।13।

जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी, 
तुमको निशदिन ध्यावत,
मैया जी को निशिदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी.....
।।ॐ जय अम्बे गौरी।14।

जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी,
तुमको निशदिन ध्यावत,
मैया जी को निशिदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी.....

।।ॐ जय अम्बे गौरी।।

(जय माता दी -आरती समाप्त)

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दुर्गा चालीसा आरती सहित पढने के बाद क्षमा प्राथना हिंदी और संस्कृत में अवश्य पढना चाहिए

दुर्गा चालीसा आरती सहित पढने के बाद क्षमा श्लोक अवश्य पढना चाहिए आइये जानते हैं क्षमा श्लोक हिंदी संस्कृत दोनों में इस आर्टिकल में प्रकाशित किया गया है आप लोगों के सहायता के लिए.

क्षमा प्रार्थना हिंदी में:

हे, देवी न तो मैं आपका मंत्र जानता हूं,और न ही पूजा की विधि जानता हूं। यथा संभव पूजा कर रहा हूं। हे देवी! मेरे द्वारा अगर आपकी पूजा में कोई भूल हुई हो,तो हमें क्षमा करें।

क्षमा प्रार्थना संस्कृत में,

मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्ति हीनं सुरेश्वरी,
यत पूजितं मया देव परिपूर्णम तदस्तु मे।

आशा करते हैं इस लेख में प्रस्तुत श्री दुर्गा चालीसा और दुर्गा जी की आरती पढ़ कर आप सभी लोग आनंदित महसूस कर रहे होंगे। अंत में इतना कहना चाहेंगे कि मां दुर्गा जी की चालीसा आरती खासकर चैत्र नवरात्रि एवं कुंवार नवरात्रि में अवश्य पढना चाहिए |

महत्वपूर्ण नोट: यथा स्थिति जितना भी हो सका है इस लेख में त्रुटियों का विशेष ध्यान रखा गया है, फिर भी यदि कोई गलती लगे तो क्षमा प्रार्थी हूं। उपरोक्त लेख में यदि कोई सुझाव हो, तो कृपया हमें अपना राय जरूर दे या हैं मेल, कमेंट करें। लेख से संबंधित डिस्क्लेमर पॉलिसी जरूर देखें जोकि इस लेख पर लागू है।
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