रत्न धारण जन्म राशि और महादशा के अनुसार कैसे होता है?
कुछ जातक रत्न धारण ऐसे ही शौक में कर लेते है या बिना किसी विद्वान के विचार विमर्श के ही धारण कर लेते है। तो वही कुछ जातक जन्म कुंडली का संपूर्ण विश्लेषण किसी विद्वान द्वारा कराने के बाद रत्न धारण करते है।
इस ब्लॉग में मैं बताना चाहता हू की प्रत्येक रत्नों का अपना अपना प्रभाव होता है। रत्न की पूरी जानकारी और विश्लेषण करना असली है की नकली आदि ज्ञान के आधार होना जरूरी है तभी रत्न धारण करना चाहिए।रत्नों की कीमत उसके गुणवत्ता और दुर्लभता के आधार पर किया जाता है।
रत्न धारण जन्म राशि के अनुसार :
रत्न का सिलेक्शन कुंडली या जन्म पत्रिका के जन्म राशि के आधार पर होता है। अगर रत्न सही से विश्लेषण करके सुझाव दिया गया है तो अतिफलदाई होगा और जातक को शुभ फल मिलने लगता है।परंतु कभी कभी दुर्भाग्यवश या अज्ञानता के कारण गलत रत्न अर्थात कुंडली का विश्लेषण सही से न हुआ हो या जन्म तिथि गलत हो या समय गलत हो तो रत्न का निर्धारण भी गलत हो सकता है जिसका परिणाम विपरीत होने लगता है अर्थात अशुभ फलों की प्राप्ति होने लगती है।
स्पष्ट है की रत्न शास्त्र के अनुसार generally कुंडली analysis के आधार पर ही रत्न धारण करना चाहिए और साथ में यह भी देखना चाहिए कुंडली या जन्म पत्रिका में कौन कौन से ग्रह शुभ है और कौन से ग्रह अशुभ है।
आपको अपनी जन्म राशि पता करने के लिए को अपनी
जन्म कुंडली खोलना है। और लग्न चार्ट देखना है। तत्पचात चंद्रमा की स्थिति देखनी
है। चंद्रमा जिस भाव में स्थित है वहा की अंक अर्थात गिनती को देख कर जो की 1 से
लेकर 12 तक कोई अंक दिया होगा वही राशि आपका होगा। उपरोक्त तथ्य का रत्न धारण करने
के लिए जन्म कुंडली को देखना नितांत आवश्यक है।
जो ग्रह कुंडली में मारक स्थिति में होते है उस ग्रह की शांति के लिए उस ग्रह से संबंधित रत्न को धारण करने के लिए सलाह दिया जाता है।
रत्न धारण महादशा के अनुसार:
जैसा कि आप सभी तो महादशा, अंतर्दशा इत्यादि के नाम से परिचित ही होंगे।रत्न शास्त्र के अनुसार महादशा के आधार पर रत्न को धारण करने की सलाह भी दी जाती है। अर्थात जातक की जो महादशा वर्तमान में चल रही हो तो उस ग्रह से संबंधित रत्न धारण कर सकते है । अगर कुंडली विश्लेषण में यह पाया जाता है की महादशा शुभ ग्रहों की चल रही है तो पूर्ण रूप से उस ग्रह के रत्न पहनने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। ठीक इसी प्रकार आपके मन में प्रश्न आ रहा होगा की अशुभ ग्रहों की महादशा चल रही हो तो उस महादशा के ग्रह संबंधित रत्न धारण कर लिया जाए तो जातक को अशुभ परिणाम प्राप्त होने लगेंगे।इसलिए बहुत ही गहन अध्ययन के बाद ही रत्न धारण करना चाहिए।
वर्ग के आधार पर रत्न धारण विधि, 9- ग्रह सूर्य,चंद्रमा,मंगल,वृहस्पति,बुध,शुक्र,शनि, राहु, केतु से संबंधित रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। उपरोक्त ग्रहों को दो भागों में विभाजित किया गया है।
पहले भाग में,
- सूर्य (Surya)
- चंद्रमा (Chandrma)
- मंगल (Mangal)
- गुरु या वृहस्पति (Guru or
Vrihaspati)
दूसरे भाग में,
- बुध (Buddha Dev)
- शुक्र (Shukra)
- शनि (Shani Dev)
- राहु (Rahu)
- केतु (Ketu)
👉 वर्ग के आधार पर रत्न धारण करने के लिए एक बात समझे की अगर आपके लग्न के स्वामी सूर्य, चंद्रमा, मंगल, गुरु से संबंधित है तो भाग दो में जो ग्रह है अर्थात बुध,शुक्र,शनि,राहु,केतु से संबंधित रत्न धारण नहीं करना चाहिए।
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