रत्न क्यों धारण करते है, और रत्न का वजन एवं रत्नों के रंगों का प्रभाव क्या होता है|

हमारे ब्लॉग RATNGYAN- Complete Knowledge of Indian Astrology में आप सभी का स्वागत है। भारतीय ज्योतिष में रत्न का अत्यधिक महत्व है। जिस प्रकार दवा से रोग का इलाज डाक्टरी में होता है। उसी प्रकार व्यक्ति के जन्मकुंडली के अनुसार ग्रहों का विश्लेषण करके शुभ और अशुभ फलों का विचार किया जाता है, और यदि कोई योगकारी ग्रह कुंडली में दूषित हो जाता है, तो ग्रहों को बल देने के लिए रत्नशास्त्र के अनुसार उचित वजन के रत्न को धारण करने की सलाह दी जाती है।

प्रत्येक रत्न की अपनी अलग विशेषता है। क्योंकि प्रत्येक रत्न का रूप, रंग, आकर इत्यादि में काफी फर्क देखने को मिलता है। कोई भी रत्न जितना पारदर्शी हो और रेशा रहित हो ऐसे रत्न को धारण करना अत्यंत फायदेमंद रहता है। जन्मकुंडली तो हम सभी दिखाते हैं और उसमें जब कोई विद्वान हमें ग्रहों के दोष के निवारण के लिए रत्न बताता है तो हम सभी अज्ञानता के कारण घबरा जाते है। क्योंकि प्रायः हम सभी लोगों के मन में कुछ प्रश्न आ ही जाता है, कि रत्न क्यों धारण करते हैं और रत्न के रंग का इंसान के साथ क्या संबंध है। रत्न इतना कीमती क्यों है। इसी सबको ध्यान में रखते हुए हमने सोचा कि आप सभी लोगों को कुछ महत्वपूर्ण जानकारी रत्न क्यों धारण करते है और रत्न के रंगों का प्रभाव क्या होता है। इस लेख को पूरा पढ़ेंगे तो आप भी जान जाएंगे की रत्न क्यों धारण करते है।

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    रत्न क्यों धारण करते है, और रत्न का वजन एवं रत्नों के रंगों का प्रभाव क्या होता है|

    रत्न क्यों धारण करते है -

    रत्न (Gemstone) पहनने के कई कारण होते हैं। कुछ लोग रोगों से बचने के लिए तो वहीं कुछ लोग सुख शांति और नौकरी में तरक्की के लिए धारण करते हैं। रत्न का भारतीय ज्योतिष में अत्यधिक महत्व भी इसीलिए है क्योंकि बहुत से लोग रत्न पहनने से राहत महसूस अवश्य करते हैं और दैनिक जीवन में पहले की अपेक्षा सुधार होते देखा गया है बशर्ते योग्य विद्वान के द्वारा विचार विमर्श करके यदि रत्न धारण किया जाए।

    सोई हुई किस्मत को जगाने के लिए

    रत्न यदि सही होता है, तो रत्न धारण करने वाले व्यक्ति की खोई हुई किस्मत कुछ ही दिनों में जाग सकती है। इसलिए बहुत से रत्न शास्त्री कुंडली की गणना करके रत्न धारण करने की सलाह भी देते हैं। व्यक्ति 

    भाग्य में वृद्धि के लिए रत्न धारण करना चाहिए

    बहुत से लोग मेहनत करने के बाद भी सफल नहीं होते है। और अपने किस्मत को कोसते रहते हैं। रत्न शास्त्र के अनुसार अलग अलग अलग कुंडली के लिए अलग अलग भाग्य रत्न होता है। मैं एक ज्योतिष होने के कारण आप लोगों को बताना चाहता हूं कुंडली में विचार विमर्श के बाद भाग्य रत्न धारण करने से व्यक्ति का भाग्योदय कुछ ही दिनों में होना प्रारंभ हो जाता है। अगर कोई भाई बहन कुंडली का सही से आंकलन करवा करके एक निश्चित वजन में रत्न धारण करते है तो रत्न बहुत ही अच्छा परिणाम देने के लिए बाध्य हो जाते हैं।

    भूलकर भी सुंदरता के लिए रत्न धारण नहीं करना चाहिए

    मैं यहां पर ग्रह से संबंधित रत्न की बात कर रहा हूं क्योंकि अभी एक महिला ने मुझ से कहा कि गुरु जी क्या मैं माणिक्य पहन सकती हूं? तो मैने पूछा कि बहन आप माणिक क्यों पहनना चाहती है? इस पर महिला का जवाब था कि माणिक देखने में सुंदर लगता है। यह बात सुनकर मैं अचंभित रह गया क्योंकि उस महिला की मकर राशि की कुंडली थी। और उसके लिए माणिक फायदे के जगह पर नुकसान कर जाता। मैने माना कर दिया की माणिक पहनना आपके लिए श्रेयस्कर नहीं है। आप सभी लोगों से भी अनुरोध है कि आप सुंदरता के लिए रत्न कदापि न पहने अन्यथा भारी नुकसान हो सकता है आपका।

    जी हाँ दोस्तों रत्न का मानव जीवन के साथ बहुत गहरा नाता है। प्रायः हम सभी जब जिंदगी में परेशान रहते हैं और समस्या पीछा नहीं छोड़ती हैं तो इसी सबके समाधान के लिए विद्वानों के कहने पर रत्न धारण करते हैं। ध्यान रखें रत्न धारण करने से पूर्व किसी योग्य पंडित या विद्वान द्वारा विचार करके ही रत्न धारण करना चाहिए जिससे अशुभ ग्रहों के प्रभाव को रोका जा सके  और रत्न से संबंधित ग्रह शुभ फल प्रदान करे इसलिए ही रत्न धारण किया जाता है। 

    रत्न धारण करने से संबंधित ग्रह हो जाते हैं बलवान

    नौ ग्रह के रत्न प्रमुख रूप से मूंगा, माणिक, मोती, हीरा, गोमेद, नीलम, लहसूनिया, पन्ना, पुखराज को कुंडली दिखाने के बाद आप धारण कर सकते है। परंतु इसका आशय यह नहीं है कि सभी रत्न आप धारण कर सकते है। ऊपर दिए रत्न में से जो आपके कुंडली के हिसाब से योगकारी ग्रह होगा और अपना शुभ फल नहीं दे पा रहा होगा उसका रत्न आपको धारण करने के लिए विद्वान कह सकते हैं। जिस ग्रह का रत्न आप धारण करते है यदि वह असली होते है और सही तरीके से कुंडली का विश्लेषण करवा के पहने हैं तो संबंधित ग्रह को बल मिल जाता है। और अपने अशुभता को त्याग देता है। अतः स्पष्ट क्षणों में कहें तो ग्रहों को बल (मजबूत करने) देने के लिए रत्न धारण करते हैं।

    रत्न के वजन का प्रभाव

    रत्न शास्त्र के अनुसार जब भी किसी ग्रह दशा का रत्न पहनना चाहते है, तो आपको रत्न के वजन के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी भलीभांति जान लेना चाहिए। क्योंकि रत्न का वजन कम होने से नहीं मिलता फल, स्वयं जानिए कौन सा रत्न कितने रत्ती का धारण करना चाहिए ? 

    यहां पर सिर्फ और सिर्फ रत्न के वजन का प्रभाव क्या होता है, को ध्यान में रखकर लिखा गया है। एक बात आपको बताना चाहता हूं कि यदि आप गलत वजन का रत्न पहन लेंगे तो फिर रत्न अपना पूरा रिजल्ट नहीं दिखाते हैं और इस तरह के रत्न का पहनना या न पहनना सब बराबर है। कहने का तात्पर्य यह है कि रत्न धारण करने का फायदा तभी होगा जब उचित वजन का रत्न पहनें।

    ज्योतिष जब कुंडली का विश्लेषण करते हैं, तो आपके राशि की स्थिति और केंद्र एवं त्रिकोण के घर को मुख्य रूप से देखकर रत्न सुझाव देते हैं। इसके अलावा कुंडली के योगकारी ग्रह के डिग्री का विश्लेषण अवश्य करते हैं। फिर गुणा गणित करके इस निष्कर्ष पर आते हैं कि कितने वजन का रत्न पहनाया जाए जातक को जिससे शुभ फल प्राप्त हो।

    एक उदाहरण आप लोगों की सुविधा के लिए दे रहा हूं यहां पर, मान लीजिए कि आपको पुखराज रत्न धारण करना है तो आपको कितनी किरणों की आवश्यकता है और कितने समय के लिए आपको पुखराज धारण करना है। यह सब आपके जन्म कुंडली का विश्लेषण कर ही सुझाव दिया जा सकता है।

    अब मान लीजिये आपके मन में सवाल आ रहा है कि बृहस्पति देव का रत्न पुखराज कितना वजन का धारण करें | तो पुखराज का रंग पीला होता है इसका मतलब है कि आपको पीले रंग की सबसे ज्यादा जरूरत है तो जाहिर सी बात है कि पुखराज रंग पीला है लाभ बनाए रखने के लिए पीले रंग की ज्यादा जरूरत है या कम यह आपके कुंडली को देखकर पता चलता है। और इसी के आधार पर रत्न का वजन निर्धारित किया जाता है। रत्नो के रश्मियों का संतुलन बनाए रखने के लिए रत्न का वजन अवश्य देखना चाहिए अन्यथा रत्न धारण करने वाले व्यक्ति पर रत्न प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

    रत्नों के रंगों का प्रभाव:

    हमारे शरीर के चारो तरफ एक आवरण होता है, जो कि नौ रंगों से प्रभावित होता है। इसी नौ रंग का प्रभाव हम लोगों की जिंदगी पर पड़ता है। नौ ग्रह के रत्न अलग अलग होते हैं और उनके रंग भी अलग अलग होते है। रत्नशास्त्र में रत्नों के रंग के बारे में जानकारी मिलता है। और हर एक रंग का हर एक ग्रहों से संबंध होता है। यदि किसी रंग की अनुकूलता है तब तो बहुत अच्छा परिणाम मिलेगा परंतु किसी रंग की प्रतिकूलता है, तो मानव जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। इसी को भारतीय ज्योतिष में ग्रहों का कमजोर होना कहते हैं।

    रत्नों के रंगों का प्रभाव कुछ उदाहरण से समझते हैं,

    मान लीजिए मेष राशि के स्वामी मंगल ग्रह का रत्न मूंगा जिसका रंग लाल होता है। कुंडली में योगकारी होते हुए अगर अशुभ ग्रहों की दृष्टि के कारण दूषित है और विद्वान बताते हैं कि मूंगा धारण कर लो तो आप यह समझ जाइए की लाल रंग की कमी आपके जीवन में है और लाल रंग की अनुकूलता के लिए मूंगा धारण कर सकते हैं। *यह केवल और केवल एक उदाहरण समझे।

    कुछ स्थितियों में मान लो मोती धारण करना और मोती कर्क राशि के जातकों को शुभ फल प्रदान करने वाला माना जाता है। मोती का रंग सफेद होता है जो शीतलता या शांति का प्रतीक होता है। किसी को सफेद रंग की जरूरत है और साथ में ऊर्जा (Energy) की जरूरत है तो फिर सफेद मूंगा धारण करना अत्यधिक लाभप्रद है|

    महत्वपूर्ण तथ्य- कोई भी रत्न बिना परामर्श के पहनना कष्टकारी हो सकता है| यह वेबसाइट किसी भी तरह के रत्नों को बिना विश्लेषण के धारण करने के लिए प्रेरित नहीं करता है|

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