अच्छे कर्मों का फल हमेशा अच्छा और बुरे कर्मों का फल हमेशा बुरा ही होता है|

जय श्री महाकाल हमारे वेबसाइट www.ratngyan.com पर पधारने के लिए धन्यवाद। प्रस्तुत लेख "कर्म का फल: अच्छे कर्मों का फल हमेशा अच्छा और बुरे कर्मों का फल हमेशा बुरा ही होता है", को एक कहानी जो की प्राचीन काल की एक घटना को प्रदर्शित कर रहा है कि अच्छे और बुरे कर्मों का फल कैसे मिलता है।

आइए जानते हैं,

कर्म फल: अच्छे कर्मों का फल हमेशा अच्छा और बुरे कर्मों का फल हमेशा बुरा ही होता है, जानिए राजा मंत्री की कहानी:

कर्म फल_अच्छे_कर्मों_का_फल_हमेशा_अच्छा_और_बुरे_कर्मों_का_फल_हमेशा_बुरा_ही होता_है_जानिए_राजा_मंत्री_की_कहानी।
कर्म फल तो भोगना ही पड़ता है|

प्राचीन काल में एक राजा थे उनके राजदरबार में तीन मंत्री ऐसे थे जिनके द्वारा कोई अपराध हुआ था। राजा के द्वारा मंत्रियों को सजा देना था क्योंकि राजा यह पता लगाने में असमर्थ था की तीनों मंत्रियों में से कौन से मंत्री ने अपराध किया है। और किस मंत्री को सजा दूं। राजा ने तीनों मंत्रियों को बुलाया और पूछा कि तुम तीनो हमें बता सकते हो की तुम तीनों में से किसने अपराध किया है। सभा हुई सभी मंत्री उपस्थित रहे। राजा बहुत ही अकलमंद और धार्मिक प्रवृत्ति का था इसलिए उसने भगवान को साक्षी मानकर तीनों मंत्रियों को आदेश दिया की जंगल से एक तरह के फल लेकर आओ। तीनों मंत्री जंगल में गए और वहां फल खोजने लगे।

  • तीनों मंत्री में से एक मंत्री खूब छांट छांट कर फल झोली में रखने लगा।
  • दूसरा मंत्री सड़ा गला फल झोली में रखने लगा यह सोचकर की पहले मंत्री ने तो अच्छा फल रख ही लिया है।
  • इसी प्रकार, पहले और दूसरे मंत्री को देखकर तीसरे मंत्री ने विचार किया कि राजा साहब इतने फल थोड़ी न खाएंगे तीसरे ने सड़े गले घास फूस सब झोली में डाल लिया।

तीनों मंत्री फल लेकर राजा साहब के दरबार में पहुंचे। राजा ने तीनों को कारागार में डाल दिया। और तीनों मंत्री ने जो फल लाया था उसको भी मंत्रियों के साथ कारागार में भेज दिया। तीनों को सजा हुई।

  • तीनों में जो मंत्री अच्छा फल जंगल से लेकर आया था, वह तो सजा पाने के बाद भी मौज से रहा। 
  • दूसरा मंत्री जो सड़ा गला फल लाया था वह मंत्री फल खाकर बीमार पड़ गया। 
  • तीसरा मंत्री जो सड़े गले घास फूस सब फल के रूप में लाया था वह खाकर बीमार हो गया और कुछ समय बाद तीसरे मंत्री की मृत्यु हो गई।

अंत में यही कहना चाहेंगे की कर्म का फल हर किसी को भोगना ही पड़ता है वो भी इसी धरती पर और इसी जन्म में। अच्छे कर्मों का फल हमेशा अच्छा ही होता है और बुरे कर्मों का फल अत्यंत विनाशकारी होता है। इसलिए व्यक्ति को लोगो के नजरों में ईमानदार नहीं,अपितु स्वयं के नजरों में ईमानदार बनना चाहिए। और व्यक्ति को प्रण करना चाहिए की जो कर्म आत्मा को गवाही न दे वह कर्म नहीं करना चाहिए। सुख दुख तो आते जाते जाते रहते है। सुख दुख से क्या घबराना लेकिन तातक्षणिक सुख के लिए अपराध, चोरी, ईर्ष्या, किसी भी तरह का लोभ इत्यादि करना हमेशा नरक के ही रास्ते है।

उपरोक्त कहानी कर्म फल: "अच्छे कर्मों का फल अच्छा और बुरे कर्मों का फल हमेशा बुरा ही होता है" में किस प्रकार राजा ने मंत्री को सजा दिया और किस तरह से मंत्री स्वयं कर्मों के द्वारा दंडित हुए।
Next Post Previous Post
1 Comments
  • YATENDRA KUMAR SRIVASTAVA
    YATENDRA KUMAR SRIVASTAVA 8/06/2023

    Nice

Add Comment
comment url