हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे एवं हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित जरूर पढें (Benifits of Reading Hanuman Chalisa & Hanuman Chalisa Meaning in Hindi)

Benifits of Reading Hanuman Chalisa & Hanuman Chalisa Meaning in Hindi: बीर बजरंगबली की चालीसा तो हर कोई पढ़ता है। लेकिन बीर बजरंगबली की चालीसा और चालीसा पढ़ने से क्या फायदे होते हैं। भक्तों को विस्तृत रूप से दिया गया हैं।

श्री हनुमान जी की चालीसा, आरती, पूजा इस कलयुग में करने से जातक को नौकरी, वाहन सुख,धन संपत्ति इत्यादि की कामना की पूर्ति स्वयं हनुमान जी करते है। हनुमान जी रुद्रावतार है।

इस लेख में हनुमान चालीसा पढने के फायदे (Benifits of  Reading Hanuman Chalisa) एवं हनुमान चालीसा  अर्थ सहित (Hanuman Chalisa Meaning In  Hindi) प्रस्तुत किया गया है। क्योंकि इस कलयुग में हनुमान  जी ही ऐसे देव है जो सिद्ध है और साक्षात विराजमान हैं। 

हनुमान जी की चालीसा अर्थ सहित पढ़ने से मंगल देव, शनिदेव, सूर्यदेव, चंद्रदेव की कृपा बनी रहती है। अर्थात यह सारे ग्रह हनुमान जी के चालीसा, भजन, कीर्तन करने से स्वयं ही अशुभता को त्याग कर शुभ परिणाम देनें लगते हैं।

हनुमान चालीसा पढने के फायदे:(Benifits of Reading Hanuman Chalisa)

आपको बताना चाहेंगे की हनुमान चालीसा पूज्यपाद श्री गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा अवधी भाषा में लिखा गया है।आइये जानते है, हनुमान चालीसा पढने के फायदे-

  1. हनुमान चालीसा पढ़ने से ब्यक्ति के जिन्दगी में मंगल ही मंगल होता है। क्योंकि रामायण के सुन्दरकांड में लिखा भी है -"मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी"
  2. हनुमान जी के बीज मंत्र "ॐ हं हनुमते: नमः" का जाप करने के बाद ही हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
  3. हनुमान चालीसा का यदि कोई भी ब्यक्ति विधि पूर्वक इक्यावन दिन तक पाठ करता है तो नौकरी में तरक्की के योग बनते है और जातक का आत्मविश्वाश भी बढ़ा चढ़ा रहता है
  4. हनुमान चालीसा पढ़ने से जातक को शत्रु भय नहीं रहता है
  5. कोई भी व्यक्ति हनुमान चालीसा "श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकर सुधारि, बरनऊ रघुवर विमल जसु जो दायकु फल चारि" का एक दिन में 108 बार पाठ करता है, तो ऐसे जातक को नौकरी में सफलता मिलती है। एवं जातक स्वयं विपरीत परिस्थिति से भी उबर जाता है।
    नौकरी_में_तरक्की_के_लिए_पढ़े_हनुमान_चालीसा
    नौकरी में तरक्की के लिए पढ़े हनुमान चालीसा

  6. हनुमान चालीसा पढ़ने से ब्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ा चढ़ा रहता है। 
  7. हनुमान चालीसा पढ़नें से जातक के असंभव कार्य भी संभव हो जाते है
  8. हनुमान चालीसा पढ़ने से जातक के मांगलिक दोष दूर होते है और जातक को मंगल ग्रह का शुभ परिणाम प्राप्त होता है
  9. शनि की साढ़े साती, ढईया के अशुभ प्रभाव को नष्ट करने के लिए नित्य इक्कीस दिन तक हनुमान चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ होता है
  10. शनि की साढ़े साती, ढईया के अशुभ प्रभाव को नष्ट करने के लिए नित्य इक्कीस दिन तक हनुमान चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ होता है
  11. मंगलवार के दिन व्यक्ति को हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य ही पढ़ना चाहिए। 
  12. हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करने से सूर्य देव की असीम कृपा जातक को प्राप्त होता है
  13. हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद श्री हनुमान जी की आरती अवश्य गाना चाहिए।

हनुमान चालीसा अर्थ: (Hanuman Chalisa Meaning in Hindi)

hanuman_chalisa_arth
हनुमान चालीसा अर्थ 

हनुमान चालीसा का पाठ क्या है, आइए जानते हैं हनुमान चालीसा का हिंदी में अर्थ,

श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि
बरनऊ रघुवर विमल जसु जो दायकु फल चारि।।

अर्थ श्री गुरु महाराज जी के चरण कमलों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके प्रभु श्री रामचंद्र जी के निर्मल यश का मैं गुणगान करता हूं, जो धर्म अर्थ काम और मोक्ष चारों फलों को देने वाले है।


बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार।

बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार।।


अर्थ- हे हनुमान जी मैं आपका सुमिरन करता हूं आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है, मुझे शारीरिक बल और सद्बुद्धि दीजिए और मेरे दुख को शीघ्र नाश कर दीजिए।


जय हनुमान ज्ञान गुण सागर

जय कपीस तिहुं लोक उजागर।1।


अर्थ- हे वीर बजरंगबली आप की जय हो आपका ज्ञान और गुणों के सागर है। हे कपीश्वर आपकी जय हो तीनो लोको स्वर्ग लोक भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है


राम दूत अतुलित बल धामा

अंजनी पुत्र पवनसुत नामा।2।


अर्थ- हे पवनसुत अंजनी नंदन आपके समान दूसरा बलवान कोई नहीं है।


महावीर विक्रम बजरंगी,

कुमति निवार सुमति के संगी।3।


अर्थ- हे पवनसुत हनुमान जी आप विशेष पराक्रम वाले हैं, आप खराब बुद्धि को दूर करते हैं और अच्छी बुद्धि वालों के साथ ही सहायक होते हैं।


कंचन वरन विराज सुबेसा।

कानन कुंडल कुंचित केसा।4।


अर्थ- आप सुनहरे रंग सुंदर वस्त्रों कानों में कुंडल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।


हाथ बज्र औ ध्वजा विराजै।

कांधे मूंज जनेऊ उर साजे।5।


अर्थ- आपके हाथ में वज्र और ध्वजा है और कंधे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।


शंकर सुवन केसरी नंदन।

तेज प्रताप महा जग बंदन।6।


अर्थ- आप शंकर के पुत्र हैं तथा केसरी जी को आनंद देने वाले हैं आपकी यश प्रतिष्ठा महान हैसारा संसार आपकी पूजन वंदन करता है।


विद्यावान गुणी अति चातुर।

राम काज करिबे को आतुर।7।


अर्थ- आप सभी विद्याओं युद्ध योग संस्कृत के पूर्व अनुभवी हैं, आप श्री रामचंद्र जी के सभी कार्य संपन्न करने को सदा तत्पर रहते हैं।


प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया।8।


अर्थ- आप राम जी की कथा सुनने में आनंद लेते हैंआपके हृदय में राम लक्ष्मण जी व सीता माता सदैव निवास करते हैं।


सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।

विकट रुप धरि लंक जरावा।9


अर्थ- आप योग बल से छोटा रूप बनाकर सीता जी के आगे प्रकट हुए, और विशाल एवं भयंकर रूप धारण कर लंका को जला दिए।


भीम रूप धरि असुर संहारे।

रामचंद्रजी के काज संवारे।10।


अर्थ- राम रावण युद्ध में आपने विशाल भयंकर रूप धारण करके राक्षसों का संघार किया। रामचंद्र जी के अनेक कार्य संपन्न किए।


लाय सजीवन लखन जियाये।

श्री रघुवीर हरसि उर लाये।11।


अर्थ- आपने हिमालय से संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जीवित किया प्रभु श्री राम चंद्र जी ने प्रसन्न होकर भाई की भांति आपको अपनी छाती से लगा लिए।


रघुपति किन्हीं बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भारतहिं सम भाई।12।


अर्थ- प्रभु श्री राम जी ने आप की बहुत प्रशंसा की और कहा कि हे हनुमान तुम भरत के समान ही मेरे प्रिय भाई हो


सहस बदन तुम्हारो यश गावैं।

अस कही श्री पति कंठ लगावैं।13


अर्थ- सहस्त्र मुख तुम्हारा गुणगान कर रहे हैं। यह कहकर लक्ष्मीपति भगवान ने पुनः हनुमान जी को गले लगा लिया


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा।14।


अर्थ- सारे ऋषि मुनि, देवी देवता एवं ब्रह्मा जी सरस्वती जी  एवं नारद सभी आपके साथ हैं


यम कुबेर दिगपाल जहां ते।

कबि कोविद कहि सके कहां ते।15।


अर्थ-यमराज कुबेर जी और अन्य ज्ञानी जन सभी आप का गुणगान करते हैं। बोलो पवन पुत्र हनुमान जी की जय हो


तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राज पद दीन्हा।16।


अर्थ-आपने सुग्रीव जी को प्रभु श्रीराम चंद्र जी से मिलवा कर उन पर महान उपकार किया थाराममिलन से ही सुग्रीव जी को किष्किंधा राज्य का सुख प्राप्त हुआ था


तुम्हारो मंत्र विभीषण माना।

लंकेश्वर भय सब जग जाना।17।


अर्थ-आपका परामर्श मानकर विभीषण प्रभु राम की शरण में गये। जिसके कारण वह लंका के राजा बने यह बात सारा संसार जानता है


जुग सहस्त्र योजन पर भानु।

लील्यो ताहिं मधुर फल जानू।18।


अर्थ-आपने बाल्यकाल में हजारों योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को एक मधुर मीठा फल जानकर मुंह में निगल लिया था


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।

जलाधि लांघिं गये,अचरज नाहीं।19।


अर्थ- प्रभु श्री रामचंद्र जी द्वारा दी गई अंगूठी को मुंह में रख कर आपने विशाल सागर को पार किया था इसमें कोई संदेह नहीं है


दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।20।


अर्थ-संसार में लोगों के जितने भी कठिन कार्य हैं वह आपकी कृपा से सरल हो जाते हैं


राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे।21।


अर्थ-प्रभु राम के द्वार के स्वयं आप रखवाले हैं। आपकी आज्ञा के बिना कोई भी  प्रवेश नहीं कर सकता है अर्थात आपकी प्रशन्नता के बिना रामकृपा दुर्लभ है। 


सब सुख लहैं तुम्हारी सरना।

तुम रक्षक काहू को डरना।22।


अर्थ-जो आप की शरण में आता है वह सब सुखों को प्राप्त करता है। और जब आप स्वयं उसके रक्षक हैं,तो उसे फिर किस बात का डर है


आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हांक ते कापें।23।


अर्थ-आपका तेज प्रचंड है, उसे स्वयं आप ही संभाल सकते हैं आपकी एक हुंकार से तीनों लोग कांप उठते हैं।


भूत पिशाच निकट नहीं आवें।

महावीर जब नाम सुनावै।24।


अर्थ-यदि किसी को भूत पिशाच दिखाई देते हैं। तो हे महावीर जी आपका नाम लेने पर मात्र से वह तुरंत भाग जाते हैं,आपका नाम राम बाण की भांति है


नासै रोग हरै सब पीरा।

जपत निरंतर हनुमत बीरा।25।


अर्थ-आपके नाम का निरंतर जप करने से सब रोगों का नाश हो जाता है।


संकट ते हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।26।


अर्थ-जो व्यक्ति मन, कर्म, वचन तीनों से हनुमान जी की पूजा करता है, हनुमान जी उनके सब संकट दूर कर देते हैं


सब पर राम तपस्वी राजा।

तिन के काज सकल तुम साजा।27।


अर्थ-तपस्वी श्री राम चंद्र जी सारे संसार के राजा हैं। फिर भी हनुमान जी आपने उनके सारे कठिन कार्य संपन्न किए


और मनोरथ जो कोई लावे।

सोई अमित जीवन फल पावै।28।


अर्थ-जो कोई अपनी सांसारिक इच्छा लेकर आपके पास आता है, उसे तो आप पूरा करते ही हैं साथ ही राम भक्ति का मार्ग दिखाते हैं,  जिससे मनुष्य जीवन का मूल फल मोक्ष प्राप्त करता है


चारों जुग प्रताप तुम्हारा।

हाय प्रसिद्ध जगत उजियारा।29।


अर्थ-आपका प्रभाव चारों युगों सतयुग द्वापर त्रेता कलयुग में फैला है वह प्रताप जगत को प्रकाशमान करने के लिए प्रसिद्ध है


साधु संत के तुम रखवारे।

असुर निकंदन राम दुलारे।30।


अर्थ-आप सज्जनों प्रभु भक्तों की रक्षा करने वाले व दुष्टों का नाश करने वाले हैं प्रभु राम को पुत्र के समान प्रिय हैं।


अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।

अस वर दीन जानकी माता।31


अर्थ-आपको माता-पिता की ओर से आठ सिद्धि और नव निधि का जो वरदान मिला है, उनकी शक्ति से आप किसी को भी सब प्रकार की संपत्ति दे सकते हैं


राम रसायन तुम्हारे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा।32।


अर्थ- अर्थ हे वीर बजरंगबली आपके पास रामभक्ति है जो किसी को भी सर्वश्रेष्ठ बना सकता है। आप सदैव रघुपति जी के दास हैं और इसी रूप में लोगों को रामभक्त बनाते हैं


तुम्हारे भजन राम को पावै।

जन्म जन्म के दुख विसरावै।33।

अर्थ- है पवनसुत हनुमान जी आपके भजन करने से प्रभु श्री रामचंद्र जी प्राप्त हो जाते हैं। और व्यक्ति के जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते हैं


अंत काल रघुवर पुर जाई।

जहां जन्म हरि भक्त कहाई।34।


अर्थ- हे पवन सुत हनुमान जी आप अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम में जाते हैं और यदि फिर भी जन्म लेते हैं तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त ही कहलाएंगे।


और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेई सर्व सुख करई।35।


अर्थ- हे हनुमान जी आपकी सेवा करने से मनुष्य को सभी प्रकार के सुख मिलते हैं। फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता व्यक्ति को नहीं रहती है।


संकट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।36।


अर्थ- हे पवन सुत हनुमान जी जो व्यक्ति आपका सुमिरन करता है। उस व्यक्ति के सभी संकट कट जाते हैं और सब पीड़ा भी नष्ट हो जाता है।


जय जय जय हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।37


अर्थ- हे पवनसुत हनुमान जी आपकी जय हो जय हो जय हो आप मुझ पर गुरुदेव के समान कृपा कीजिए।


यह शत बार पाठ कर जो।

 छूटहिं बंध महासुख होई।38


अर्थ- जो व्यक्ति हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करता है अर्थात प्रतिदिन पाठ करता है। वह जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है, और नित्य ही आनंद प्राप्त करता है


जो यह पढ़े हनुमान चालीसा

होय सिद्धि साखी गौरीसा।39


अर्थ- गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि हनुमान जी के इस चालीसा का पाठ जो कोई भी व्यक्ति करता है। उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, इस बात के साक्षी स्वयं भगवान शंकर जी ने दिया है


तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय महं डेरा।40।


अर्थ-पूज्यपाद श्री गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि हे पवनसुत हनुमान जी आप राम के दास हैं और मैं आपका दास हूं, अतः स्वयं आप मेरे हृदय में विराजिए।


दोहा


पवन तनय संकट हरण,मंगल मूरत रूप

राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप


दोहा अर्थ


हे पवन पुत्र हनुमान जी आप आनंद और मंगल के स्वरूप हैं,

 आप श्री रामचंद्र जी सीता जी और लक्ष्मण जी सहित हमारे हृदय में निवास कीजिए।


प्रभु श्री हनुमान चालीसा का हिंदी पाठ संपूर्ण हुआ



धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद हनुमान जी की आरती अवश्य ही पढ़ना चाहिए। आरती पढ़ने के लिए नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करे-

Disclaimer:  लेख में त्रुटिओं का विशेष ध्यान रखा गया है, फिर भी किसी भी तरह के क्षतिपूर्ति के लिए रत्नज्ञान वेबसाइट की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी । अधिक जानकारी के लिए डिस्क्लेमर पालिसी अवश्य पढ़े।

Next Post Previous Post
4 Comments
  • बेनामी
    बेनामी 8/07/2023

    Good

  • बेनामी
    बेनामी 8/08/2023

    Jai bala ji maharaaj

  • बेनामी
    बेनामी 8/08/2023

    jai bajrang bali

  • YATENDRA KUMAR SRIVASTAVA
    YATENDRA KUMAR SRIVASTAVA 8/09/2023

    Shadi ke 7 vachan kya hai

Add Comment
comment url