Dashrath Krit Shani Stotra In Hindi: दशरथ कृत शनि स्त्रोत मंत्र हिंदी भावार्थ सहित जरूर पढ़ें,यदि जिन्दगी में सफल होना चाहते हैं।

Dashrath Krit Shani Stotra in Hindi: शनिदेव को प्रशन्न करने के लिए दशरथ कृत शनि स्तोत्र की रचना स्वयं राजा दशरथ जी नें स्वयं किया था। इस लेख में दशरथकृत शनि स्त्रोत्र हिंदी में (Dashrath Krit Shani Stotra In Hindi) एवं दशरथ का शनि स्त्रोत्र मंत्र हिंदी भावार्थ सहित दिया गया है, एवं साथ ही साथ दशरथकृत शनि स्त्रोत्र के लाभ क्या है ? को प्रस्तुत किया गया है|

इन्टरनेट पर आपको दशरथ कृत शनि स्त्रोत तो बहुत मिल जायेंगे लेकिन जो RATNGYAN के द्वारा दशरथ कृत शनि स्त्रोत "Dashrath Krit Shani Stotra In Hindi" अद्भुत रूप में प्रस्तुत किया गया है। 

आइए जानते हैं, RATNGYAN वेबसाइट के माध्यम से "दशरथ का शनि स्त्रोत मंत्र हिंदी भावार्थ सहित"-

1.दशरथकृत शनि स्त्रोत मंत्र (Dashrath Krit Shani Stotra)

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Dashrath krit shani stotra in hindi। दशरथ का शनि स्त्रोत मंत्र हिंदी भावार्थ सहित जरूर पढ़ें,यदि जिन्दगी में सफल होना चाहते हैं।

दशरथ उवाच:
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! एकश्चास्तु वरः परः 
रोहिणीं भेदयित्वा तु न गन्तव्यं कदाचन्
सरितः सागरा यावद्यावच्चन्द्रार्कमेदिनी
याचितं तु महासौरे ! नऽन्यमिच्छाम्यहं
एवमस्तुशनिप्रोक्तं वरलब्ध्वा तु शाश्वतम्
प्राप्यैवं तु वरं राजा कृतकृत्योऽभवत्तदा
पुनरेवाऽब्रवीत्तुष्टो वरं वरम् सुव्रत।1

दशरथकृत शनि स्तोत्र:

नमः कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।

नमः पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
 नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते॥4॥

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नमः।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने 5 

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च6 

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते7 

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नमः॥8॥

ज्ञान चक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।
 तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् 9

देवा सुर मनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगाः।
त्वया विलोकिताः सर्वे नाशं यान्ति समूलतः॥10॥

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे 
 एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबलः11

दशरथकृत शनि स्त्रोत सम्पूर्णं

2.दशरथ का शनि स्त्रोत मंत्र हिंदी भावार्थ सहित:

दशरथ उवाच-

हे श्यामवर्णवाले, हे नील कण्ठ वाले।
कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले।
स्वीकारो नमन मेरे, शनिदेव हम तुम्हारे।
सच्चे सु-कर्म वाले हैं , मन से हो तुम हमारे 
स्वीकारो नमन मेरे स्वीकारो नमन मेरे ।


दशरथकृत शनि स्त्रोत हिंदी में:

हे दाढ़ी-मूछों वाले, लम्बी जटायें पाले।
दीर्घ नेत्र वाले, शुष्कोदरा निराले।
भय आकृति तुम्हारी, सब पापियों को मारे।
स्वीकारो नमन मेरे स्वीकारो नमन मेरे ।

हे पुष्ट देहधारी, स्थूल-रोम वाले।
कोटर सुने वाले, हे बज्र देह वाले।
तुम ही सुयश दिलाते, सौभाग्य के सितारे।
स्वीकारो नमन मेरे स्वीकारो नमन मेरे ।

हे घोर रौद्र रूपा, भीषण कपालि भूपा।
नमन सर्वभक्षी बलिमुख शनी अनूपा।
भक्तों के सहारे, शनि! सब हवाले तेरे।
हैं पूज्य चरण तेरे स्वीकारो नमन मेरे

हे सूर्य-सुत तपस्वी, भास्कर के भय मनस्वी।
अधो दृष्टि वाले, हे विश्वमय यशस्वी।
विश्वास और श्रद्धा अर्पित है आपको अतः सब कुछ आप ही निभाइए|
स्वीकारो नमन मेरे स्वीकारो नमन मेरे । 

अतितेज खड्गधारी, हे मन्दगति सु प्यारी।
तप-दग्ध - देहधारी, नित योगरत अपारी।
संकट विकट हटा दे, हे महातेज वाले।
स्वीकारो नमन मेरे स्वीकारो नमन मेरे ।

नितप्रिय सुधा में रत हो अतृप्ति में निरत हो
हो पूज्यतम जगत मे अत्यंत करुणा-नत हो 
हे ज्ञान नेत्र वाले, पावन प्रकाश वाले।
स्वीकारो नमन मेरे स्वीकारो नमन मेरे ।

जिस पर प्रसन्न दृष्टि-वैभव सुयश की वृष्टि
वह जग का राज्य पाये सम्राट तक कहाये
उत्तम स्वभाव वाले, तुमसे तिमिर उजाले।
स्वीकारो नमन मेरे स्वीकारो नमन मेरे ।

हो वक्र दृष्टि जिसपै, तत्क्षण विनष्ट होता।
मिट जाती राज्यसत्ता, हो के भिखारी रोता।
डूबे न भक्त-नैय्या पतवार दे बचा ले
स्वीकारो नमन मेरे स्वीकारो नमन मेरे ।

हो मूल_नाश उनका दुर्बुद्धि होती जिनपर 
हो देव असुर मानव हो , सिद्ध या विद्या_धर 
देकर प्रसन्नता प्रभु अपने चरण लगा ले
स्वीकारो नमन मेरे स्वीकारो नमन मेरे 

होकर प्रसन्न हे प्रभु! वरदान यही दीजै।
बजरंग भक्तगण को दुनिया मे अभय कीजै
सारे ग्रहों के स्वामी अपना विरद बचाले।
स्वीकारो नमन मेरे हैं पूज्य चरण तेरे।


इस प्रकार दशरथकृत शनि स्त्रोत समाप्त हुआ। Dashrath Krit Shani Stotra in Hindi ends here.

3.Dashrath Krit Shani Stotra Benefits।दशरथ कृत शनि स्त्रोत के लाभ:

शनि देव ने वरदान स्वरूप राजा दशरथ को वचन दिया कि इस स्तोत्र को जो भी मनुष्य, देव अथवा असुर, सिद्ध तथा विद्वान आदि पढ़ेगा, उसे शनि के कारण कोई बाधा नहीं होगी। आइए जानते हैं, दशरथकृत शनि स्त्रोत पढ़ने के फायदे-
  1. दशरथ कृत शनि स्त्रोत स्वयं देव गण भी पढ़ते है, शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए इस कलयुग में शनिदेव के इस पवित्र स्त्रोत पढ़ने से व्यक्ति के ऊपर से शनि की पीड़ा ढैया, साढ़े साती जैसे महादोषों के लिए अत्यंत फायदेमंद है।
  2. शनि देव को जन्म कुंडली में दो भाव के स्वामी होते हैं। कहने का तात्पर्य यह है, कि शनि देव दसवां घर (कर्म) और ग्यारहवां घर (मोक्ष) अर्थात मकर और कुंभ राशि के मालिक है। इसलिए दशरथ कृत स्त्रोत का पाठ यदि शनि चालीसा के साथ नित्य चालीस दिन किया जाए तो शनिदेव निश्चित ही शुभ परिणाम प्रदान करते हैं।
  3. जन्मकुंडली में महादशा या अन्तर्दशा में, गोचर में अथवा लग्न स्थान अर्थात पहले भाव, द्वितीय स्थान (धन भाव), चतुर्थ, अष्टम या द्वादश (बारहवें) भाव में शनि स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को स्नानादि से निवृत्त होकर शनिवार के दिन तीन बार क्रमशः सुबह, दोपहर, शाम, को दशरथकृत शनि स्त्रोत का पाठ करना बहुत फायदेमंद साबित होगा।
  4. शनिदेव न्याय के कारक ग्रह है सभी लोगों को वर्तमान और पूर्व जन्म में किए हुए कार्यों के अनुसार परिणाम देते है। इसलिए इंसान को हमेशा अच्छे कर्म करना चाहिए जो भी व्यक्ति अच्छे कर्मों के साथ शनिदेव के इस दशराथकृत शनि स्त्रोत का पाठ करता है, उस व्यक्ति को अपार सफलता जिंदगी में मिलता है।
  5. यदि दवा से छुटकारा नहीं मिलता है, तो नित्य की दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ जोकि व्यक्ति के लिए रामबाण सिद्ध होगा।
  6. दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ यदि कोई व्यक्ति पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर शनिवार के दिन पढ़ता है, तो आयु, विद्या, यश, बल यह चारों चीज बढ़ती है।
  7. घोर संकट में दशरथ जी ने इस स्त्रोत का पाठ किया था तभी रामचंद्र जी ने रावण को शत्रु रूप में परास्त किया था इसलिए। इसलिए शत्रुओं से यदि है परेशान तो दशरथकृत शनिदेव शनि स्त्रोत अवश्य पढ़े।
  8. यदि व्यक्ति को बार बार चोट लगती हो बाएं पैर की पीड़ा नहीं जा रही है, तो ऐसे व्यक्ति को दशरथ कृत शनि स्त्रोत पढ़ना चाहिए।
  9. दशरथ कृत शनि स्त्रोत पढ़ने से शनिदेव आने वाले संकटों को स्वयं नष्ट कर देते हैं।
  10. दशरथ कृत शनि स्त्रोत के पाठ करने से नौकरी में तरक्की के योग बनते है। अतः जो जातक तैयारी करने में लगे है, उनके लिए दशरथ कृत शनि स्त्रोत एक ताबीज की भांति कार्य करता है।
  11. दशरथ कृत शनि स्त्रोत ब्यक्ति के लिए एक कवच की भांति काम करता है।यदि कोई भी विधिपूर्वक दशरथकृत शनि स्त्रोत का पाठ करता है, तो निश्चित ही ब्यक्ति सफलता की तरफ अग्रसर होगा इसमें कोई संशय नहीं है।
अंत में इतना जरूर कहना चाहेंगे की यदि आपको कोई ज्योतिष, विद्वान शनि पीड़ा, ढैया, साढ़े साती को जन्म कुंडली में अशुभ बता रहा है, तो अवश्य ही पढ़े दशरथ कृत शनि स्त्रोत।
महत्वपूर्ण नोट- आप लोगों की सुविधा के लिए दशरथ कृत शनि स्त्रोत संस्कृत में दिया ही गया है, और साथ ही साथ दशरथ कृत शनि स्त्रोत मंत्र हिंदी भावार्थ सहित दिया गया है। जिसको आप आराम से पढ़ सकते है।

Disclaimer: लेख में त्रुटियों का विशेष ध्यान रखा गया है,फिर भी किसी भी तरह के क्षतिपूर्ति के लिए रत्नज्ञान वेबसाइट की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।अधिक जानकारी के लिए डिस्क्लेमर पालिसी अवश्य पढ़े।
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