Kaalratri | कालरात्रि माता की महिमा एवं स्तुति |Kaalratri | कालरात्रि माता की महिमा एवं स्तुति |
Kaalratri:कालरात्रि माता की महिमा एवं स्तुति
Kaalratri | कालरात्रि माता की महिमा एवं स्तुति | |
कालरात्रि माता की स्तुति
सातवाँ जब नवरात्रि हो आनंद ही छा जाता।।
अंधकार सा रूप ले पूजती हो माता।।
गले में विद्युत माला है, तीन नेत्र प्रगटती।।
धरती क्रोधित रूप माँ चैन नही वो पाती।।
गर्दभ पर विराज कर पाप का बोझ उठाती।।
धरम की रखती हैं मर्यादा, विचलित सी हो जाती।।
माँ भूत - प्रेत को दूर कर निर्भयता है, लाती।।
योगिनियों को साथ ले धीरज वो दिलवाती।।
शक्ति पाने के लिए तांत्रिक धरते ध्यान।।
मेरे जीवन में भी दो हल्की सी मुस्कान।।
नवरात्रों की माँ कृपा कर दो माँ।।
नवरात्रों की माँ कृपा कर दो माँ।।
जय माँ कालरात्रि। जय माँ कालरात्रि।।
सातवाँ जब नवरात्र हो आनंद ही छा जाता।।
अन्धकार सा रूप ले पूजती हो माता।।
कालरात्रि माता की महिमा
- कालरात्रि माता दुष्टों का संघार करने वाली हैं।
- राक्षस भूत - प्रेत,दानव दैत्य आदि कालरात्रि माता के स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं।
- कालरात्रि माता अपनें भक्तों के ग्रह - कलेश को हरने वाली हैं।
- जो भी जातक माँ कालरात्रि की उपासना सच्चे मन से करता है, वह रात्रि के भय से,अग्नि-भय शत्रु के भय से, जल के भय से,जंतु के भय से मुक्ति मिलता है।
- कालरात्रि माता की कृपा से जातक हमेशा भय से मुक्त हो जाता है।
- कालरात्रि माता की पूजा करने से सभी ब्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है, एवं दुश्मनों का सर्वनाश होता है और ब्यक्ति का तेज बढ़ता है।
- मनुष्य को एकनिष्ठ भाव से माँ कालरात्रि के स्वरूप-विग्रह को अपने हृदय में अवस्थित करके उपासना करनी चाहिए।
- संयम, नियम, यम का ब्यक्ति को पूर्ण पालन करना चाहिए और साथ ही साथ काया, मन, वचन की पवित्रता बनाये रखना चाहिए।
- शुभंकारी देवी को ही माँ कालरात्रि के नाम से जाना जाता हैं।
- माँ की उपासना से होने वाले शुभ फलों की गणना नहीं की जा सकती।
- ब्यक्ति को निरंतर उनका स्मरण ध्यान और पूजा करना चाहिए।