मन में निगेटिव विचार क्यों आते है?
Man Me Negative Thoughts Aana:जब भी हम खाली बैठे रहते हैं तो कभी कभी ऐसा लगता हैं की मन बहुत ज्यादा उदास हैं और कुछ करने का भी मन नहीं करता हैं।बार- बार कुछ ऐसी बाते दिमाग में आती हैं,जिसका दूर~ दूर तक कोई लेना देना नहीं होता हैं, इतना ही नहीं मस्तिष्क में इतने गहराई तक निगेटिव बातों का जाल घूमने लगता हैं की लगता है की लाइफ में कुछ बचा ही नहीं हैं।
आस~ पास या ऑफिस के Positive विचार मन में नहीं आकर वही निगेटिव विचार आने लगते हैं।जिसका दूर दूर तक कोई लेना लादना नहीं होता है। इतना ही नहीं धीरे धीरे यही निगेटिव विचार आने से ब्यक्ति का संतुलन ख़राब होने लगता है।पहले तो यह निगेटिव विचार अस्थाई होता है परन्तु वक़्त के साथ साथ यही निगेटिव विचार स्थाई हो जाता है। तदुपरांत ब्यक्ति अजीवन ही इसी निगेटिव विचार (नकारात्मक सोच) में उलझा रहता है।
आइये जानते है,
मन में निगेटिव विचार क्यों आते है? (Man Me Negative Thoughts Aana)
मन में Negative Thoughts आने के कारण,
मन में निगेटिव विचार किस किस कारणों से आते हैं (Man Me Negative Thoughts Aana) और इस निगेटिव विचार को दिमाग से हटाना बहुत ही ज्यादा जरूरी भी होता है। लाइफ में सफल होना है तो नीचे कुछ कारण दिए गए है की निगेटिव विचार किस कारण से आते आते है।
1. चिंता करना
कुछ इंसान ऐसे होते हैं जो कर्म के बिना फल की इच्छा करने लगते हैं, मान लो पढने का समय हैं तो उस टाइम कोई और काम करेंगे फिर बाद में जब परिणाम विगड़ने लगता है तो किस्मत को दोष देने लगते हैं| इस तरह जब ब्यक्ति बहुत अधिक चिंता करने लगता है तो धीरे-धीरे ब्यक्ति का मस्तिष्क सकरात्मक विचार को छोड़कर निगेटिव (नकरात्मक) की ओर बढ़ने लगता है|
2. योग नहीं करना
बहुत से ब्यक्ति ऐसे होते हैं जो सुबह और शाम में क्या अंतर होता है यही नहीं समझ में आता है क्योंकि उनके सोने, उठने, बैठने का समय ही निश्चित नही होता है।
हर इंसान को स्वस्थ्य रहने के लिए योग करना चाहिए।हम लोग पढ़ते भी आ रहे हैं की स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य मस्तिष्क का विकास होता है। अतः जब दिमाग ही स्वस्थ्य नहीं होगा तो फिर मन में निगेटिव (नकारात्मक) सोच आना स्वाभाविक है।
3.लोगों से ईर्ष्या करना
जब लोग आगे बढ़ने लगते हैं, तो प्रायः समाज में कुछ ऐसे व्यक्ति होते है, जो बढ़ते हुए ब्यक्ति से ईर्ष्या की भावना पैदा करने लगते है। और इस तरह ब्यक्ति स्वयं को कमजोर महसूस करता है,और मन में असंख्य निगेटिव विचार आने लगता है।
4.अत्यधिक गुस्सा करना
जब ब्यक्ति बिना वजह या फिर ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव के कारण अत्यधिक गुस्सा करता है तो मन अस्थिर अर्थात मन अशांत रहता है, और गुस्से के कारण ब्यक्ति के मन में निगेटिव विचार आने शुरू हो जाते हैं|
5.अकेलापन
6.लालची स्वभाव
7.जिद्दी होना
जिद्दी ब्यक्ति के स्वभाव में होना तो ठीक है परन्तु जब ब्यक्ति किसी से अकारण ही जिद्द करने लगे और जिद्द पूरा नही हो तो अन्य तरह के मन में निगेटिव विचार मन में आने लगते हैं|
8.जरूरत से ज्यादा खर्चे करना
9.पास पड़ोस से तुलना करना
जो भी ब्यक्ति पास पड़ोस से स्वयं की तुलना करता है, तो हमारे ख्याल से उसमे कोई बुराई नहीं हैं लेकिन जब ब्यक्ति ईर्ष्या की भाव से तुलना करता है,तो पास पड़ोस से ब्यक्ति का ब्यवहार स्वत: ही टूटने लगता है और ब्यक्ति के मन में पास पड़ोस को लेकर मन में निगेटिव विचार आने ही लगते है।
10.ईश्वर की आराधना नहीं करना
हिन्दू धर्म में इश्वर की आराधना को जीवन का अंग माना गया है। जन्म से लेकर जन्मान्तर तक ईश्वर के आराधना करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। और जो व्यक्ति ईश्वर की आराधना नहीं करते हैं, तो उनका मन अन्यथा ही कुपित रहता है,और व्यक्ति के मन में निगेटिव विचार आते ही रहते हैं।
11.पाप पूर्ण कर्मों में संलिप्त होना
कुछ लोग ईश्वर में अटूट विश्वास करते हैं तो वहीं कुछ लोग पापपूर्ण कर्मों में संलिप्त रहते हैं जिसके कारण व्यक्ति खुद तो परेशान रहता ही है और साथ ही साथ परिवार भी परेशान रहते हैं।अज्ञानता में हुए पाप का परिणाम तो नही के बराबर होता है परंतु यह जानते हुए भी की अमुक काम सही नही है, फिर भी करते हैं तो उसका दुष्परिणाम भयानक ही होता है और व्यक्ति के मन में निगेटिव विचार आने ही लगता है।
12.आलसी होना
13.बिना कर्म के फल की इच्छा
14.स्वार्थी होना
जब ब्यक्ति सिर्फ अपने हित के लिए ही सोचता है,देश दुनिया से ब्यक्ति को कोई मतलब नहीं होता है। इतना ही नहीं सिर्फ मतलब के लिए किसी से भी जुड़ता है तो ऐसे ब्यक्ति का इंसान ही नहीं अपितु भगवान भी साथ अंततः छोड़ देते हैं। परिणामतः ब्यक्ति के मन में निगेटिव विचार आते ही रहते है।