Vindheshwari Chalisa (विंधेश्वरी चालीसा)
Vindheshwari Chalisa: विंधेश्वरी चालीसा के बारे में कौन नहीं जानता होगा माँ विंधेश्वरी की यह चालीसा पढनें मात्र से ही ब्यक्ति सभी सुखों को भोगता है| माँ विन्ध्याचल का पावन धाम मिर्जापुर जोकि उत्तरप्रदेश राज्य में स्थित है जोकि पूरे विश्व में एक प्रसिद्द शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है|
माता विंधेश्वरी की चालीसा नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब को खासकर प्रत्येक औरतों को सौभाग्य प्राप्ति के लिए अवश्य पढना चाहिए क्योंकि Vindheshwari Chalisa (विंधेश्वरी चालीसा) में लिखा है-जो नर धरै मातु कर ध्याना। ताकर सदा होय कल्याना।। अर्थात जो भी जातक सच्ची श्रध्हा से माँ विंधेश्वरी चालीसा का यह अमर पाठ करता है शीघ्र ही देवी माँ भक्तों की रक्षा स्वयं करती हैं।
आइये जानते हैं माँ Vindheshwari Chalisa (विंधेश्वरी चालीसा)
Vindheshwari Chalisa (विंधेश्वरी चालीसा)
।।दोहा।।
नमो नमो विन्ध्येश्वरी,
नमो नमो जगदम्ब।।
सन्तजनों के काज में,
करती नहीं विलम्ब।।
।।चौपाई।।
जय जय जय विन्ध्याचल रानी।
आदिशक्ति जगविदित भवानी।1।
सिंहवाहिनी जै जगमाता।
जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता।2।
कष्ट निवारण जै जगदेवी।
जै जै सन्त असुर सुर सेवी।3।
महिमा अमित अपार तुम्हारी।
शेष सहस मुख वर्णत हारी।4।
दीनन को दु:ख हरत भवानी।
नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी।5।
सब कर मनसा पुरवत माता।
महिमा अमित जगत विख्याता।6।
जो जन ध्यान तुम्हारो लावै।
सो तुरतहि वांछित फल पावै।7।
तुम्हीं वैष्णवी तुम्हीं रुद्रानी।
तुम्हीं शारदा अरु ब्रह्मानी।8।
रमा राधिका श्यामा काली।
तुम्हीं मातु सन्तन प्रतिपाली 9।
उमा माध्वी चण्डी ज्वाला।
वेगि मोहि पर होहु दयाला।10।
आदिशक्ति जगविदित भवानी।1।
सिंहवाहिनी जै जगमाता।
जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता।2।
कष्ट निवारण जै जगदेवी।
जै जै सन्त असुर सुर सेवी।3।
महिमा अमित अपार तुम्हारी।
शेष सहस मुख वर्णत हारी।4।
दीनन को दु:ख हरत भवानी।
नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी।5।
सब कर मनसा पुरवत माता।
महिमा अमित जगत विख्याता।6।
जो जन ध्यान तुम्हारो लावै।
सो तुरतहि वांछित फल पावै।7।
तुम्हीं वैष्णवी तुम्हीं रुद्रानी।
तुम्हीं शारदा अरु ब्रह्मानी।8।
रमा राधिका श्यामा काली।
तुम्हीं मातु सन्तन प्रतिपाली 9।
उमा माध्वी चण्डी ज्वाला।
वेगि मोहि पर होहु दयाला।10।
तुम्हीं हिंगलाज महारानी।
तुम्हीं शीतला अरु विज्ञानी।11।
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता।
तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता।12।
तुम्हीं जाह्नवी अरु रुद्रानी।
हे मावती अम्ब निर्वानी।13।
अष्टभुजी वाराहिनि देवा।
करत विष्णु शिव जाकर सेवा।14।
चौंसट्ठी देवी कल्यानी।
गौरि मंगला सब गुनखानी।15।
पाटन मुम्बादन्त कुमारी।
भाद्रिकालि सुनि विनय हमारी।16।
बज्रधारिणी शोक नाशिनी।
आयु रक्षिनी विन्ध्यवासिनी।17।
जया और विजया वैताली।
मातु सुगन्धा अरु विकराली।18।
नाम अनन्त तुम्हारि भवानी।
वरनै किमि मानुष अज्ञानी।19।
जापर कृपा मातु तब होई।
जो वह करै चाहे मन जोई।20।
कृपा करहु मोपर महारानी।
सिद्ध करहु अम्बे मम बानी।21।
जो नर धरै मातु कर ध्याना।
ताकर सदा होय कल्याना।22।
विपति ताहि सपनेहु नाहिं आवै।
जो देवीकर जाप करावै।23।
जो नर कहँ ऋण होय अपारा।
सो नर पाठ करै शत बारा।24।
निश्चय ऋण मोचन होई जाई।
जो नर पाठ करे मन लाई।25।
अस्तुति जो नर पढ़े पढावै।
या जग में सोबहु सुख पावै।26।
जाको व्याधि सतावे भाई।
जाप करत सब दूर पराई।27।
जो नर अति बन्दी महँ होई।
बार हजार पाठ करि सोई।28।
निश्चय बन्दी ते छुट जाई।
सत्य वचन मम मानहु भाई।29।
जापर जो कछु संकट होई।
निश्चय देविहिं सुमिरै सोई।30।
जा कहँ पुत्र होय नहिं भाई।
सो नर या विधि करे उपाई।31।
पाँच वर्ष जो पाठ करावै।
नौरातन महँ विप्र जिमावै।32।
निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी।
पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी।33।
ध्वजा नारियल आन चढ़ावै।
विधि समेत पूजन करवावै।34।
नित प्रति पाठ करै मन लाई।
प्रेम सहित नहिं आन उपाई।35।
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा।
रंक पढ़त होवे अवनीसा।
यह जन अचरज मानहु भाई।
कृपा दृश्टि जापर होइ जाई।37।
जै जै जै जग मातु भवानी।
कृपा करहु मोहि निज जन जानी।38।
।।इति Vindheshwari Chalisa (श्री विंधेश्वरी चालीसा) समाप्त।।
निष्कर्ष: आशा करते हैं आप सभी लोगों को ratngyan.com के द्वारा लिखी गयी Vindheshwari Chalisa (विंधेश्वरी चालीसा) से सम्बंधित जानकारी अच्छा लगा होगा कृपया करके इस तरह से और लेख पढनें के लिए हमारे वेबसाइट रत्नज्ञान (https://www.ratngyan.com/) जरूर याद रखें | यदि आपके पास पितृ दोष से सम्बंधित कोई अन्य Question हो तो हमसे संपर्क कर सकते हैं |
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