शिव चालीसा इन हिंदी | Shiv Chalisa In Hindi |
Shiv Chalisa: भगवान शंकर जी का दिन सोमवार होता है, जिस दिन तरह तरह के पूजा पाठ व्यक्ति अपनी जिन्दगी में सफल होने या घर के सुख शांति के लिए बिभिन्न माध्यम जैसे रुद्राभिषेक, शिवलिंग पूजा, शिव चालीसा (Shiv Chalisa), जलाभिषेक के माध्यम से किया जाता है|
भगवान भोलेनाथ की पूजा अत्यधिक फलित और लाखों दोषों का शमन करने वाला होता है| यदि विपरीत परिस्थितियों में व्यक्ति घिरा है तो व्यक्ति को शंकर जी के इस चालीसा का पाठ करना अत्यधिक कारगर सिद्ध हो सकता है| शिव चालीसा के पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में चली आ रही कठिनाइयों का समापन शीघ्र हो जाता है|
शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान् शंकर जी शीघ्र ही प्रशन्न हो जाते है और ऐसे जातक के जिन्दगी में खुशहाली बरकरार रहती हैं| यदि कोई जातक लम्बे समय से बीमार रहता हो तो शिव चालीसा का पाठ करना अत्यधिक लाभदायक होता है| देवों के देव महादेव की चालीसा का महत्व शिव पुराण में बताया गया है और यह माना भी जाता है की जो भी जातक यदि सच्चे मन से विधि विधान के द्वारा शिव चालीसा का पाठ करते है भगवान् भोलेनाथ शीघ्र ही सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं|
भगवान शंकर जी की पूजा करने वाला व्यक्ति महाग्यानी और तीनों लोको में पूजने योग्य हो जाता है| खासकर शंकर जी के इस चालीसा का पाठ जो भक्त सच्चे मन से पढ़ते हैं तो व्यक्ति निश्चित ही सफलता की तरफ अग्रसर रहता है इसमें कोई संदेह नही है|
सूर्योदय से पूर्व स्नान करके सफ़ेद अर्थात श्वेत वस्त्र धारण करें, तत्पश्चात मृगचर्म या कुश के आसन पर बैठकर सामने भगवान शंकर की मूर्ति या चित्र तथा इस पुस्तक में बने शिव यंत्र को ताम्र-पत्र पर खुदवाकर सामने रखें। फिर चंदन, चावल, आक के सफेद पुष्प, धूप, दीप, धतूरे का फल, बेल-पत्र तथा काली मिर्च आदि से पूजन करके शिवजी का ध्यान करते हुए नीचे दिए हुए श्लोक पढ़कर भगवान शंकर जी को पुष्प समर्पित करें।
शिव चालीसा हिंदी अर्थ सहित |
शिव चालीसा का हिंदी अर्थ (Shi Chalisa In Hindi)
शिव चालीसा -
जय गणेश गिरिजा सुवन. मंगल मूल सुजान ।। कहत अयोध्यादास तुम. देउ अभय बरदान ।।1।।
शिव चालीसा अर्थ-
समस्त मंगलों के ज्ञाता गिरिजा सुत श्री गणेश की जय हो। में अयोच्यादास आपसे अभय होने का वर मागता हूँ।
शिव चालीसा -
जय गिरिजा पति दीन दयाला. सदा करत संतन प्रति पाला ।। भाल चंद्रमा सोहत नीके. कानन कुण्डल नागफनी के ।।2।।
शिव चालीसा अर्थ -
दीन दुखियों पर दया करने वाले तथा संतजनों की रक्षा करने वाले पार्वती जी के पति भगवान भोलेनाथ जी की जय हो | जिनके मस्तक पर चंद्रमा शोभाय मान है और जिन्होंने कानों में नाग-फनी के कुण्डल धारण किए हुए है।
शिव चालीसा -
अंग गौर सिर गंग बहाए, मुण्डमाल तन क्षार लगाए।। वस्त्र खाल बाघबर सोहै। छवि को देखि नाग मुनि मोहै।।3।।
शिव चालीसा अर्थ -
जिनके अग गौरवर्ण हैं. सिर से गंगा बह रही है. गले में मुण्ड माला है और शरीर पर भस्म लगी हुई है। जो बाघम्बर धारण किया हुआ है | ऐसे शिव की शोभा देखकर नाग और ऋषि मुनि भी मोहित हो जाते हैं।
शिव चालीसा -
मैना मातु कि हवे दुलारी. वाम अंग सोहत छवि न्यारी ।। कर त्रिशूल सोहत छवि भारी,करत सदा शत्रुन क्षय कारी ।।4।।
शिव चालीसा अर्थ -
महा रानी मैना की दुलारी पुत्री पार्वतीजी उनके बाएं भाग में सुशोभित हो रही हैं। जिनके हाथ का त्रिशूल अत्यंत सुन्दर प्रतीत हो रहा है. वही निरंतर शत्रुओं का विनाश करते रहते है।।
शिव चालीसा -
नंदि गणेश सोहे तह कैसे . सागर मध्य कमल हैं जैसे ।। कार्तिक श्याम और गणराऊ, या छवि को कहि जात न काऊ।।।5।।।
शिव चालीसा अर्थ -
भगवान शंकर के समीप नंदी व गणेशजी ऐसे सुंदर लगते हैं, जैसे सागर के मध्य कमल। श्याम, कार्तिकेय और उनके करोड़ों गर्णो की छवि का बखान करना किसी के लिए भी संभव नहीं है।
शिव चालीसा -
देवन जबहीं जाय पुकारा, तबहीं दुःख प्रभु आप निवारा।। कियो उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिलि तुमहि जुहारी ।।6।।
शिव चालीसा अर्थ -
हे प्रभु! जब-जब भी देवताओं ने पुकार की, तब-तब आपने उनके दुखों का निवारण किया है। जब तारकासुर ने उत्पात किया, तब सब देवताओं ने मिलकर रक्षा करने के लिए आपकी गुहार की।
शिव चालीसा -
तुरत षडानन आप पठायउ, लव-निमेष महं मारि गिरायउ।। आप जलंधर असुर संहारा , सुयश तुम्हार विदित संसारा।।7।।
शिव चालीसा अर्थ -
तब आपने तुरंत स्वामी कार्तिकेय को भेजा जिन्होंने क्षणमात्र में ही तारकासुर राक्षस को मार गिराया। स्वयं आपने जलंधर नामक राक्षस का संहार किया था जिसके कारण आपके बल तथा यश को सारा संसार जानता है।
शिव चालीसा -
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई . सबहिं कृपा करि लीन बचाई ।।। किया तपहिं भागीरथ भारी . पुरव प्रतिज्ञा तासु पुरारी ।।।8।।।
शिव चालीसा अर्थ -
त्रिपुर नामक असुर से युद्ध कर आपने देवताओं पर कृपा की, उन सभी को आपने बचा लिया। आपने अपनी जटाओं से गंगा की धारा को छोडकर भागीरथ के तप की प्रतिज्ञा को पूरा किया था।
शिव चालीसा -
दानिन महं तुम सम-कोइ नाहीं। सेवक स्तुति-करत सदाहीं।। वेद- माहि -महिमा तब गाई , अकथ अनादि भेद नहिं पाई।।9।।
शिव चालीसा अर्थ -
हे प्रभु आपके समान पूरे संसार में कोई दूसरा दानी नहीं है। हम सेवक सदा ही आपकी स्तुति करते रहते हैं। आपके अनादि होने का कथा (भेद) कोई बता नहीं सकता और वेदों में भी आपके नाम की गुणगान गाई गई है।
शिव चालीसा -
प्रकटी उदधि मंथन ते-ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला।। कीन्ह दया तह करी सहाई। नीलकंठ तव नाम कहाई।।10।।
शिव चालीसा अर्थ -
जब विष उत्पन्न हुआ समुद्र-मंथन करने से, तब राक्षस और देवता दोनों ही बेहाल हो गए थे। तब आपने दया करके उनकी सहायता की और ज्वाला पान किया और तभी से आपका नाम नीलकंठ पड़ा।
शिव चालीसा -
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा,जीत के लंक विभीषण दीन्हा।। सहस-कमल में हो रहे-धारी ,कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।।11।।
शिव चालीसा अर्थ -
रामचंद्रजी ने लंका पर चढाई करने से पहले आपका पूजन किया और विजयी हो लका विभीषण को दे दी। भगवान रामचंद्र ने जब सहस्र कमल के द्वारा पूजन किया तो आपने फूलों में विराजमान हो परीक्षा ली।
शिव चालीसा -
एक कमल प्रभु राखेउ गोई ,कमल नैन पूजन चहं सोई।। कठिन भक्ति देखी प्रभुः शंकर, भये प्रसन्न दिये इच्छित वर।।12।।
शिव चालीसा अर्थ -
आपने एक कमल-पुष्प माया से लुप्त कर दिया तो श्रीरामचन्द्र जी माहराज ने अपने कमलनयन से पूजन करना चाहा। जब आपने इस प्रकार की कठोर भक्ति राघवेंद्र जी की देखी तो प्रसन्न होकर राघवेंद्र जी को मनवांछित वर प्रदान किया।
शिव चालीसा -
जय जय जय अनंत अविनासी . करत कृपा सबके घट वासी ।।। दुष्ट सकल नित मोहि सतावैं . भ्रमत रहाँ मोहि चैन न आवै ।।।13।।।
शिव चालीसा अर्थ -
भगवान शिव जी अनंत और अविनाशी हैं आपकी जय हो | सभी के हृदय में निवास करने वाले आप ही सभी लोगों पर कृपा करते हैं। हे शंकर जी अनेक प्रकार के दुरजन मुझे हमें प्रत्येक दिन सताते हैं। जिससे मैं भ्रमजाल में फंस जाता हूं और मुझे चैन नहीं मिलता हैं।
शिव चालीसा -
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारों। यहि अवसर मोहि आन उबारौ ।। ले त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट ते मोहि आन उबारो।।14।।
शिव चालीसा अर्थ -
हे नाथ! मै आपका स्मरण इन सांसारिक बाधाओं से दुखी होकर करता हूं, कृपया आप मेरा उद्धार कीजिए। आप अपने त्रिशूल से मेरे सभी शत्रुओं को नष्ट कर दीजिये और मुझे इस संकट से बचाकर भवसागर से पार कर दीजिये।
शिव चालीसा -
मातपिता भ्रात: सब होई, संकट में पूछत नहिं कोई।। स्वामी एक है आस तुम्हारी ,आय हरहु मम-संकट भारी।।15।।
शिव चालीसा अर्थ -
माता-पिता और भाई आदि सुख में ही साथी होते हैं, संकट आने पर कोई पूछता भी नहीं। है जगत के स्वामी! आप पर ही प्रभु मेरी आशा टिकी हुई है कृपया आप हमारे इस घोर संकट को दूर कीजिए।
शिव चालीसा -
धन निर्धन को देत सदाही . जो कोइ जाचे सो फल पाहीं ।।। अस्तुति केहि विधि करों तुम्हारी . क्षमह नाथ अब चूक हमारी।।16।।
शिव चालीसा अर्थ -
हे भगवान भोलेनाथ जी आप हमेशा ही निर्धनों की सहायता करते हैं और जिसने भी आपको जिस प्रकार से जाना उसने उसी प्रकार से ही फल प्राप्त किया है। मैं प्रार्थना-स्तुति करने की विधि नहीं जानता हूँ। इसलिए आपकी स्तुति किस प्रकार करू? यदि मेरी प्रार्थना में कोई भूल हो तो क्षमा करें।
शिव चालीसा -
शंकर को संकट के नाशन, विघ्न विनाशन मंगल कारन।। योगी यति मुनि ध्यान लगावें, नारद सारद शीश नवावें।।17।।
शिव चालीसा अर्थ -
भगवान् शंकर जी आप ही संकटो का नाश करने वाले एवं सभी प्रकार के शुभ कार्यों को कराने वाले हैं | विघ्न को हरण करने वाले आप ही हैं। योगी लोग और यति व मुनि जन लोग आपका ही ध्यान करते हैं। नारदजी, सरस्वती जी आपको ही नतमस्तक करते हैं।
शिव चालीसा -
नमो-नमो जय नमः शिवाय . सुर ब्रह्मादिक पार _ न _ पाय ।।।। जो यह पाठ करे मन लाई . तापर होत हैं शंभु सहाई ।।।18।।।
शिव चालीसा अर्थ -
"ॐ नमः शिवाय" पंचाक्षर मंत्र का निरंतर जप करके देवता गण ने आपका पार तक नहीं पाया इसलिए जो इस शिव चालीसा का प्रेमपूर्वक पाठ करता है | उस व्यक्ति की सभी इच्छाएं भगवान शंकर जी शीघ्र पूर्ण कर देते हैं।
शिव चालीसा -
ऋनियां जो कोइ हो अधिकारी। पाठ करे सो पावनहारी ।। पुत्र होन कर इच्छा कोई ,निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।।19।।
शिव चालीसा अर्थ -
यदि ऋणी (कर्जदार) इसका पाठ करे तो वह ऋणमुक्त हो जाता है। जो भी जातक पुत्र प्राप्ति की इच्छा से जो शिव चालीसा का पाठ करेगा निश्चित ही भगवान शिव की कृपा से उसे पुत्र का प्राप्ति होगा।
शिव चालीसा -
पण्डित त्रयोदशी को लावै . ध्यान पूर्वक होम करावै ।। त्रयोदशी व्रत करै हमेशा . तन नहिं ताके रहे कलेशा ।।।20।।।
शिव चालीसा अर्थ -
हर महीनें की त्रयोदशी तिथि को घर पर पण्डित को बुलाकर श्रद्धापूर्वक पूजन व हवन करना चाहिए। त्रयोदशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के शरीर और मन को कभी कोई क्लेश (दुख) नहीं रहता।
शिव चालीसा -
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावै । शकर सम्मुख पाठ सुनावै ।। जन्म-जन्म के पाप नसावै। अंत धाम शिवपुर में पावै।।21।।
शिव चालीसा अर्थ -
जो भी मनुष्य शंकर जी के सामने मुख करके धुप दीप इत्यादि चढ़ाता है उस व्यक्ति के समस्त पाप शीघ्र समाप्त हो जाते हैं और अंतिम समय में व्यक्ति का शिव लोक में निवास होता है अर्थात् व्यक्ति की मुक्ति हो जाती है।
शिव चालीसा -
कहत अयोध्या-आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी।। नित्य नेम कर प्रात ही, पाठ ठ करो चालीस । तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीस।।22।।
शिव चालीसा अर्थ -
अयोध्यादास कहते हैं, कि हे शंकरजी! हमें आपकी ही आशा है, यह जानते हुए प्रभु हमारे समस्त दुखों को दूर कर दीजिये। भगवान महादेव के शिव चालीसा का चालीस बार नित्य पाठ करने से भगवान मनोकामना पूर्ण कर देते हैं।
शिव चालीसा -
मंगसर छठि हेमन्त ऋतु . संवत् चौसठ जान।।।अस्तुति चालीसा शिवहिं, पूर्ण कीन्ह कल्याण ।।23।।।
शिव चालीसा अर्थ -
हेमन्त ऋतु, मार्गशीर्ष महीने की छठी तिथि संवत् 64 में यह चालीसा लोक-कल्याण के लिए पूर्ण हुई।
निष्कर्ष
आशा करते हैं प्यारे भक्तों Ratngyan वेबसाइट के माध्यम से प्रस्तुत लेख शिव चालीसा एवं Shiv Chalisa In Hindi|शिव चालीसा का हिंदी अर्थ पढ़कर समझकर आनंदित महसूस कर रहे होंगे| दिमाग भी एकदम शांत हो गया होगा|