Jyotish Shastra: 12 भाव में चंद्रमा का फल जानिए |

चंद्रदेव एक राशि में सवा दो दिन तक रहते है और चंद्रदेव की सामर्थ्य सुख शांति देने की है। चंद्रमा यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुभ है तो ऐसे जातक को माता का भरपूर प्यार, पूर्वजों का सेवक करने वाला होता है। चंद्रमा कर्क राशि के स्वामी होते हैं और आप सभी की जानकारी के लिए बताना चाहूंगा की चंद्रमा के राहू और केतु शत्रु होते है।

कर्क राशि के स्वामी चंद्र देव के मित्र ग्रह सूर्य और बुध देव जी है। चंद्रमा के सम ग्रह शनि, मंगल, गुरु और शुक्र हैं। चंद्रग्रह ही सभी देवता, पितर, यक्ष, मनुष्य, भूत,पशु-पक्षी और वृक्ष आदि के प्राणों की रक्षा करते हैं।

Jyotish Shastra: 12 भाव में चंद्रमा का फल जानिए (12 Bhav Me Chandrama Ka Fal


भारतीय ज्योतिष में नौ ग्रह बहुत महत्वपूर्ण माने गये है जिसका व्यक्ति के जिन्दगी से सम्बन्ध है। जन्मकुंडली में सूर्य,चंद्रमा, मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू, केतु ग्रह के अलग अलग फल है। चंद्रमा का कुंडली में बलवान होना बहुत ही अच्छा माना जाता है क्योंकि जिस व्यक्ति के कुंडली में चंद्रमा अशुभ होता है अर्थात योग्य फल प्रदान करने में असमर्थ होता है तो व्यक्ति का मन स्थिर नही होता है और मन आशांति युक्त होता है इस लेख में चंद्रमा के फलों का 1 से लेकर 12 भाव में किया गया है। आइये जानते है इस लेख के माध्यम से 12 भाव में चंद्रमा का फल क्या होगा।
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12 भाव में चंद्रमा का फल
देखने की विधि,

  • सर्वप्रथम आपको अपना जन्मतिथि, स्थान, जन्म समय डालकर अपनी जन्मकुंडली खोल लेनी है या फिर आपके पास अपना लग्न चार्ट है तो उसको खोल लेना हैं।
  • उसके बाद लग्न चार्ट ओपन करना है और उसमे ऊपर लग्न चार्ट जो दिया गया है उसी की तरह देखना है की आपके लग्न चार्ट में चंद्रमा कहाँ लिखा है।
  • ऊपर लग्न चार्ट में पहले भाव से लेकर बारह भाव तक स्थान सहित दिए गये हैं कि लग्न चार्ट में पहला घर दूसरा घर, तीसरा घर, चौथा घर, पांचवा घर, छठवा घर, सप्तम घर, आठवा घर, नववा घर, 10 वाँ घर, 11 वाँ घर, 12 वाँ घर घर कौन सा है।
  • अब आपको जन्मकुंडली के लग्न चार्ट में  12 भाव में चंद्रमा का फल जानने के लिए देखिये की आपके लग्न चार्ट एक से बारह भाव में किस घर में चंद्रमा लिखा हुआ है

प्रथम भाव में चंद्रमा का फल, 

जन्मकुंडली का पहला घर या भाव जिसको लग्न कहते है। यदि किसी व्यक्ति के लग्न अर्थात पहले घर में चन्द्रमा स्थित होता है, तो ऐसे व्यक्ति ऐश्वर्यशाली, अपार धन वैभव, अभिमानी, बड़ा व्यवसायी, उदार, धनी, मनोहर व्यक्तित्व, स्थूर शरीर वाले होते है।

द्वितीय भाव में चंद्रमा का फल

यदि किसी जातक की कुंडली के दुसरे भाव अर्थात द्वितीय भाव  में चंद्रमा स्थित तो ऐसे जातक सहनशील एवं शान्तिप्रिय, सौम्य स्वभाव, सुन्दर, मधुरभाषी, भाग्यवान्, बुद्धिमान, कामवासना अत्यधिक होता है। अतः द्वितीय भाव का चंद्रमा अच्छा फल प्रदान करता है।

तृतीय भाव में चंद्रमा का फल

यदि किसी जातक की कुंडली के तृतीय भाव में चन्द्रमा हो तो जातक आस्तिक अर्थात ईश्वर में विश्वाश करने वाला, तपस्वी, प्रसन्नचित्त,  प्रतिष्ठित, यात्राओं में रूचि रखने वाला, विद्वान, एवं कंजूस, कफरोगी, प्रेमी, भाइयों और बहिनों का रक्षक होता है।

चतुर्थ भाव में चंद्रमा का फल

यदि किसी जातक की कुंडली के चतुर्थ अर्थात चौथा भाव जिसे केंद्र का घर भी कहते हैं इस घर या भाव में चंद्रमा स्थित हो तो जातक उदार, मातृत्व सुख, उच्च शिक्षा, वुधिमान, सुखी, दानी होता है। 

पंचम भाव में चंद्रमा का फल, 

यदि किसी जातक की कुंडली के पंचम भाव जिसे त्रिकोण का घर कहते हैं। पंचम भाव या पांचवे घर में चन्द्रमा हो तो जातक सदाचारी, शिक्षा में विघ्न, स्त्री सुख, कन्या सन्ततिवान् वाला होता है।

षष्ठ भाव में चंद्रमा का फल

षष्ठ भाव अर्थात छठवें भाव में चन्द्रमा हो तो जातक आलसी, बुद्धिमान, उदररोगी, क्रोधी, खर्चीले स्वभाव वाला, एवं भ्रात प्रिय होता है। आप सभी की जानकारी के लिए बताना चाहूंगा की कुंडली का यह भाव बहुत अधिक उत्तम फल नहीं प्रदान करता है।

सप्तम भाव में चंद्रमा का फल

यदि किसी जातक की कुंडली के सप्तम भाव में चन्द्रमा स्थित हो तो जातक सभ्य, धैर्यवान, नेता, विचारक, कामुक, सफल, अभिमानी, कीर्तिमान, स्वभाव वाला एवं स्फूर्तिवान, प्रवासी, सुन्दर पत्नी, व्यापार करने वाला होता है। 

अष्टम भाव में चंद्रमा का फल

यदि किसी जातक की कुंडली के आठवें भाव में चन्द्रमा हो तो जातक कामी, व्यापार से लाभवाला, विकारग्रस्त प्रमेह रोंगी, वाचाल, स्वाभिमानी, वकील, अल्प सन्नति, गुरदे की बीमारी होता है।

नवम भाव में चंद्रमा का फल

यदि किसी जातक की कुंडली के नवम भाव में चन्द्रमा हो तो जातक विद्वान्, विद्याप्रिय, चंचल, न्यायी, प्रवास-प्रिय, कार्यशील, धमात्मा, प्रतिष्णवान, संस्थान के प्रमुख स्तति सम्पत्तियुक्त सुखी, साहसी एवं अल्प भाई वाला होता है।

दसवे भाव में चंद्रमा का फल, 

जन्मकुंडली का दसवां भाव या दसवां घर जो केंद्र का घर कहलाता है। यदि किसी जातक की कुंडली के दसवे भाव में चन्द्रमा स्थित हो तो जातक निर्बलबुद्धि, प्रशन्नचित, कार्यकुशल, सुखी, महत्वाकांक्षी, यशश्वी, विद्वान् कुल दीपक दयालू एवं दीर्घु-आयु होता है।

एकादश भाव में चंद्रमा का फल

यदि किसी जातक की कुंडली के एकादश भाव में अर्थात (ग्यारहवें घर में) चन्द्रमा स्थित हो तो जातक गुणी, सुखी, यशस्वी लोकप्रिय, दानी, चंचल बुद्धि, सन्तति और सम्पत्ति से युक्त, सफल लोक हितैषी, दीर्घायु, मन्त्रों को जानने वाला एवं परदेश प्रिय और राज्य के कार्यों में दक्ष होता है।

बारहवे भाव में चंद्रमा का फल

जन्मकुंडली का यह भाव (बारहवां भाव) बहुत अच्छा नहीं माना जाता है। यदि किसी जातक की कुंडली के के बारहवे भाव या घर में चंद्रमा स्थित हो तो जातक क्रोधी, क्रोधी, नेत्ररोगी, चिन्ताशील, एवं अधिक खर्चीला करने वाला होता है।


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निष्कर्ष:

आशा करते हैं की ज्योतिषाचार्य गौरव जी के द्वारा प्रस्तुत लेख 12 भाव में चंद्रमा का फल अवश्य समझ में आया होगा क्योंकि ऊपर लग्न चार्ट का प्रारूप आप सभी की जानकारी के लिए प्रस्तुत कर दिया जिससे की आप लोग को किसी प्रकार की असुविधा न हो समझने में यदि असुविधा होती है तो पुनः एक बार ऊपर लग्न चार्ट देख कर अपना लग्न चार्ट देखे तो समझ में आ जायेगा धन्यवाद।

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