Jyotish Shastra: कुंडली के अनुसार द्वादश भाव में सूर्य के शुभ फल और अशुभ फल क्या हैं? सूर्य के पहले भाव से लेकर बारह भावों से संबंधित यह लेख अवश्य पढ़े।

Jyotish Shastra (Surya Fal) सूर्य ग्रह कुंडली में यदि शुभ स्थिति में हो तो जातक निश्चय ही अमीर, सरकार से लाभ पाने वाला होता है। इस पोस्ट में जन्म कुंडली के 12 भावों में सूर्य के शुभ अशुभ फल के बारे में विस्तृत चर्चा रत्न ज्ञान ब्लॉग के माध्यम से ज्योतिषाचार्य गौरव कुमार श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत किया गया है।

लग्न चार्ट में 12 घर या 12 भाव जोकि नीचे चित्र में दिया गया हैं। आप लोगों की जिज्ञासा के लिए कुंडली के लग्न चार्ट के 1 घर,2 घर, 3 घर, 4 घर, 5 घर, 6 घर, 7 घर, 8 घर, 9 घर, 10 घर, 11 घर, 12 घर में सूर्य स्थित होता है, तो सूर्य के शुभ अशुभ फल क्या होंगे? सूर्य शुभ स्थिति में है या अशुभ स्थिति में है। लग्न चार्ट में 
सूर्य 12 भाव में किसी भी घर में स्थित हो सकता है। सूर्य जिस घर मे स्थित होता है उसी घर के शुभ अशुभ फल के बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य गौरव के द्वारा बताया गया है।

कुंडली के द्वादश भाव में सूर्य के शुभ-अशुभ फल एवं सूर्य के बारहों भाव के उपाय क्या-क्या हैं?
Jyotish Shastra: कुंडली के अनुसार द्वादश भाव में सूर्य के शुभ और अशुभ फल क्या हैं? सूर्य के पहले भाव से लेकर बारह भावों से संबंधित यह लेख अवश्य पढ़े। 

#कुंडली के अनुसार द्वादश भाव में सूर्य के शुभ फल और अशुभ फल

कुंडली के अनुसार द्वादश भाव में सूर्य के शुभ और अशुभ फल क्या हैं? सूर्य के पहले भाव से लेकर बारह भावों से संबंधित इस लेख को पूरा अवश्य पढ़िए।
सूर्य के 12 भाव का विचार करने से पहले कुंडली के घर या भाव के बारे में पता होना चाहिए आपको तभी आप समझ पाएंगे की सूर्य का पहले घर में हो तो क्या फल मिलेगा, दुसरे घर, तीसरे भाव, चौथे भाव, पांचवें भाव, छठवें भाव, सातवें भाव, आठवें भाव , नवम भाव, दशम भाव, ग्यारहवें भाव, बारहवें भाव में हो तो क्या फल मिलेगा , कुंडली के बारहों भाव को नीचे चित्र के द्वारा समझाया गया है
 
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Jyotish Shastra: कुंडली के अनुसार द्वादश भाव में सूर्य के शुभ और अशुभ फल क्या हैं? सूर्य के पहले भाव से लेकर बारह भावों से संबंधित यह लेख अवश्य पढ़े।


द्वादश भाव में सूर्य के शुभ फल:
यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में होता है, तो जातक धर्मों कर्मों में विश्वास रखने वाला होता है।सूर्य के 12 भाव में स्थित होने पर किस किस भाव में शुभ फल देंगे आप लोगो की जानकारी के लिए बताना चाहेंगे की सूर्य देव यदि केंद्र में हो और अशुभ ग्रहों की दृष्टि न हो तो पहले, चौथे सातवें, दसवें घर में शुभ परिणाम ही देते हैं। 12 भाव क्रमशः पहले भाव, दूसरे भाव, तीसरे भाव, चौथे भाव, पांचवे भाव, छठवें भाव, सातवें भाव, आठवें भाव, नौवें भाव, दसवें भाव, ग्यारहवें भाव और बारहवें भाव में सूर्य किस किस घर या भाव में शुभ फल प्रदान करते है? आइए जानते हैं, 12 भाव में सूर्य के शुभ फलों के बारे में।

1.#पहले भाव में सूर्य के शुभ फल:

पहले घर में सूर्य स्थित होने से जातक धर्म कर्म में खर्च करने वाला, कुआं का निर्माण कराने वाला होता है| 
पहले घर में सूर्य स्थित होने से जातक पिता से प्रेम करने वाला, नशा इत्यादि कुकर्मों से दूर रहने वाला होता है।
पहले घर में सूर्य स्थित होने से जातक गरीब निर्बलों का मदद करने वाला, सब जगहों से लाभ पाने वाला, स्वयं से सुने हुए बातों पर विश्वास करने वाला होता है।

2.#दूसरे भाव में सूर्य के शुभ फल:

  • जातक की कुंडली में दूसरे भाव में सूर्य स्थित है तो जातक को निम्न शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में हो अर्थात दूसरे भाव में सूर्य और गुरु की युति हो तो जातक को ननिहाल, यदि कन्या है तो ससुराल धनी होगा।
  • सूर्य दूसरे भाव में हो तो जातक या जातिका के शत्रुओं का नाश 11 वर्ष 11 महीना 11 दिन में होगा।
  • सूर्य दूसरे भाव में हो तो जातक परिवार के सदस्यों की सेवा करने वाला होगा। 
  • सूर्य दूसरे भाव में और चंद्रमा छठे भाव में है, तो जातक पूर्वजों के बनाई हुई संपत्ति से ज्यादा संपत्ति स्वयं बना लेगा।
  • सूर्य धनभाव अर्थात दूसरे भाव में हो और अष्टम भाव में राहु एवं केतु की युति हो तो व्यक्ति सत्यवादी व कार्यों में निपुण होगा। 
  • सूर्य दूसरे भाव में राहु नौवे भाव में हो तो जातक पेंटर, चित्रकार होता है।
  • सूर्य दूसरे भाव में और केतु नवम भाव में हो तो जातक टेक्नीशियन होता है।
  • सूर्य दूसरे भाव में और मंगल नवम भाव में हो तो व्यक्ति शौकीन होता है।
  • दूसरे भाव में सूर्य और दसवें भाव में शनि देव हो तो व्यक्ति तीव्र दिमाग वाला और सरकार से सम्मान पाने वाला होता है।
  • दूसरे भाव में सूर्य और ग्यारहवें भाव में शनि हो तो व्यक्ति के जीवन में कभी सुख तो कभी दुख लगा रहता है।

#3.तीसरे भाव में सूर्य के शुभ फल:

  • जातक की कुंडली में तीसरे भाव में सूर्य स्थित है तो जातक को निम्न शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • यदि सूर्य तीसरे भाव में शुभ स्थिति में हो तो जातक अपने मेहनत से धन खूब कमाता है।
  • ज्योतिष विज्ञान, गूढ़ विद्या का अद्भुत ज्ञान, महान गणितज्ञ, बुद्धि विवेक से कार्य करने पर विशेष लाभ मिलता है। यदि व्यक्ति सदाचारी नहीं रहता है तो स्वास्थ्य पर प्रभाव और दुर्भाग्य की प्राप्ति होती है।
  • तीसरे भाव में सूर्य और चंद्रमा कुंडली में शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति पूरी उम्र भर आर्थिक लाभ प्राप्त करता है। और ऐसे जातक को चंद्रमा से संबंधित व्यापार करने पर लाभ ही लाभ होता है। 
  • सूर्य और बुध की युति अगर तीसरे भाव में हो तो जातक को भाई और भतीजे से लाभ प्राप्त होता है।

#4.चौथे भाव में सूर्य के शुभ फल:

  • जातक की कुंडली में चौथे भाव में सूर्य स्थित है,तो जातक को निम्न शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • यदि जन्मकुंडली में सूर्य चौथे भाव में में हो तो व्यक्ति के बुढ़ापे की जिंदगी सुखमय बीतता है। और व्यक्ति के पास अपार धन वैभव होता है।
  • चौथे भाव में सूर्य हो तो जातक को संतान का सुख मिलता है, एवं जातक के संतान भी धनी होते है।
  • चौथे भाव में सूर्य हो तो जातक स्वयं श्रेष्ठ, प्रशासनिक अधिकारी, और दयालु होता है।
  • चौथे भाव में सूर्य हो और जातक के कुंडली के जिस भाव में गुरु और चंद्रमा की युति स्थित होता है उस भाव से संबंधित वस्तुओं से द्रव्य लाभ प्राप्त होता है।
  • चौथे भाव में सूर्य और चंद्रमा की युति हो तो जातक रिसर्च के क्षेत्र में काफी ग्रोथ करता है।
  • सूर्य और मंगल की युति अगर चौथे भाव में हो तो जातक विनम्र और धैर्यशील होता है।
  • सूर्य और बुध की युति अगर चौथे भाव में हो तो जातक भाग्यशाली, माता पिता से लाभ पाने वाला होता है।
  • सूर्य मंगल चंद्रमा तीनों अगर एक साथ चौथे भाव में हो तो जातक सोना, चांदी से लाभ पाता है।

#5. पांचवे भाव में सूर्य के शुभ फल:

  • जातक की कुंडली में पांचवें भाव में सूर्य स्थित है,तो जातक को निम्न शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • भेड़ बकरी पालन करने से लाभ होता है। 
  • रसोईघर पूर्व में बनाना चाहिए। 
  • वृद्धावस्था सुखमय होता है।
  • संतान व परिवार की उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते है।
  • सूर्य पांचवे भाव में और शनि ग्यारहवें भाव में हो तो जातक के माता पिता दीर्घायु और जातक सदा उन्नति करने वाले होते है।

#6. छठवें भाव में सूर्य के शुभ फल:

  • छठवें भाव में सूर्य स्थित है,तो जातक को निम्न शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • जातक क्रोधी, राज्य सरकार से लाभ पाने वाला, प्रतिष्ठित और धनी होता है।
  • सूर्य छठवे भाव में केतु पहले या सातवे भाव में हो तो राज्य से लाभ प्राप्त करने वाला तथा पुत्र सुख प्राप्त करने वाला होता है।
  • और केतु की यह स्थिति जातक के अड़तालीस साल के बाद का जीवन अधिक सुखमय बीतते हैं।
  • छठवे भाव में सूर्य और दूसरे भाव में चंद्रमा, मंगल, गुरु में से कोई ग्रह हो तो जातक धार्मिक, प्राचीन सिद्धांतों पर चलने वाला होता है।

#7. सातवें भाव में सूर्य के शुभ फल:

  • सातवें भाव में सूर्य स्थित है,तो जातक को निम्न शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • सूर्य सातवे भाव में हो और गुरु मंगल और या चंद्रमा दूसरे भाव में हो तो जातक के अंदर संस्कार के सभी गुण विद्यमान होंगे और यदि बुध गुरु और शुक्र दूसरे तीसरे या पांचवें भाव में हो तो जातक विदेश में जीविकोपार्जन करता है।और ऐसे जातक तो मृत्यु उसके जन्म स्थान पर ही होता है
  • सातवें भाव में सूर्य अग्निकांड अग्निकांड क्षय रोग आत्महत्या भवन आदि का निर्माण में विघ्न उत्पन्न करता है तथा जातक के स्वभाव को क्रोधी बनाता है।
  • सातवें भाव में सूर्य हो और दूसरे भाव में शुक्र या पाप ग्रह हो तो जातक के माता पत्नी पिता को कष्ट मिलता है। 

#8. अष्टम भाव में सूर्य के शुभ फल:

  • अष्टम भाव में सूर्य स्थित है,तो जातक को निम्न शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • किसी जातक की कुंडली में यदि सूर्य अष्टम भाव में है तो ऐसे जातक शत्रु पराजित करने वाले और 22 वर्ष की सेवा में 22 वर्ष की आयु में सरकार से लाभ प्राप्त करने वाले होते हैं।
  • सूर्य आठवें भाव में है तो जाता के तपस्वी सत्यवादी होता है।

#9. नवम भाव में सूर्य के शुभ फल:

  • नवम भाव में सूर्य स्थित है,तो जातक को निम्न शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • सूर्य नवम भाव में शुभ स्थिति में होता है और बुध सातवें में हो तो जातक का भाग्योदय 34 वर्ष में होता है।
  • नवे भाव में सूर्य परिवार कुटुंब के प्रति अधिक खर्च करने वाला और माता पिता का सेवा करने वाला होता है।
  • नव में भाव का सूर्य जातक को दीर्घायु भाग्यवान सदाचारी परोपकारी भी बनाता है।

#10. दसवें भाव में सूर्य के शुभ फल:

  • दसवें भाव में सूर्य स्थित है,तो जातक को निम्न शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • किसी जातक की कुंडली में यदि सूर्य यदि सूर्य दसवें भाव में स्थित होता है तो ऐसे जातक राज्य अधिकारी होते हैं।
  • दसवें भाव में सूर्य स्थित होने के कारण जातक के पास अपार धन वैभव होता है

#11. ग्यारहवें भाव में सूर्य के शुभ फल:

  • ग्यारहवें भाव में सूर्य स्थित है,तो जातक को निम्न शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • यदि जन्म कुंडली में ग्यारहवें भाव में सूर्य हो और जातक मांसाहारी ना हो तो ऐसे जातक के 3 पुत्र होते हैं और जातक घर का मुखिया, राज्य अधिकारी और दीर्घायु होता है।

#12. बारहवें भाव में सूर्य के शुभ फल:

  • बारहवें भाव में सूर्य स्थित है,तो जातक को निम्न शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • जन्म कुंडली में यदि सूर्य बारहवें भाव में हो और शुक्र बुध की युति हो तो ऐसे जातक की आजीविका कभी बंद नहीं होती और जातक व्यापार करने वाला होता है
  • बारहवें भाव में सूर्य और दूसरे भाव में केतु हो तो ऐसे जातक 24 वर्ष से ही द्रव्य उपार्जन करने लगते हैं।

#बारहों भाव में सूर्य के अशुभ फल

  • ऊपर हम सभी द्वादश भाव में सूर्य के शुभ फल के बारे में जान गए हैं भाव के अनुसार और अब सूर्य के अशुभ फल क्रमशः पहले भाव, दूसरे भाव, तीसरे भाव, चौथे भाव, पांचवे भाव, छठवें भाव, सातवें भाव, आठवें भाव, नौवें भाव, दसवें भाव, ग्यारहवें भाव और बारहवें भाव में क्या है? आइए जानते हैं, 12 भाव में सूर्य के अशुभ फल के बारे में।

#1. प्रथम भाव में सूर्य के अशुभ फल:

  • यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में हो जैसे सूर्य पहले घर में और शुक्र सातवे घर या भाव में हो तो ऐसे जातक बचपन में ही पिता सुख से वंचित हो सकते है।
  • सूर्य देव पहले भाव में और मंगल पांचवें भाव में होने से जातक पुत्र सुख से वंचित हो सकता है।
  • अशुभफल कारक योग यदि सूर्य पहले भाव में और सूर्य, मंगल, वृहस्पति कमजोर स्थिति में हो तो जातक भाग्यहीन जीवन जीता है। 

#2. दूसरे भाव में सूर्य के अशुभ फल

  • यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में हो तो धन हानि, स्त्री से वाद विवाद, संपति से संबंधित झगड़े होते है।और सूर्य के अशुभ स्थिति के कारण पत्नी, माता, भाभी, बहन, के सुखों में कमी को दर्शाता है।
  • दूसरे भाव में स्थित सूर्य और अठवे भाव में मंगल स्थित हो तो जातक को किसी भी तरह का दान नहीं लेना चाहिए,अर्थात किसी से कोई भी सामान मुफ्त में नहीं लेना चाहिए।
  • सूर्य दूसरे भाव में और लग्न अर्थात पहले घर में मंगल एवं चंद्रमा बारहवें भाव में हो तो व्यक्ति को सर्वदा आर्थिक तंगी और दुखी जीवन व्यतीत करने वाला होगा।

#3. तीसरे भाव में सूर्य के अशुभ फल,

  • सूर्य तीसरे भाव और पहले घर में अशुभ ग्रह हो तो जातक के पड़ोसी विशेष रूप से पीड़ित होते है।
  • तीसरे भाव में सूर्य और चंद्रमा भी अशुभ स्थिति में हो तो जातक को चोरी करने से अत्यधिक हानि होता है।
  • सूर्य तीसरे भाव में बुध या अन्य सूर्य के शत्रु ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो जातक के मामा के लिए यह स्थिति कष्टकारी होता है।

#4. चौथे भाव में सूर्य के अशुभ फल,

  • चौथे भाव में सूर्य अशुभ स्थिति में हो तो जातक लालची, तरह तरह के कष्ट भोगने वाला होता है।
  • सूर्य चौथे भाव में शनि सप्तम भाव में हो तो जातक नेत्र पीड़ा से प्रभावित होता है।
  • सूर्य चौथे भाव में और मंगल दसवें भाव में होने पर जातक भाग्यशाली तो होता है मगर नेत्ररोगी होता है।
  • सूर्य चौथे भाव में और चंद्रमा, गुरु एवं बुध में से कोई ग्रह हो तो जातक को अशुभ फल प्राप्त होता है। 
  • सूर्य चौथे में गुरु दसवें भाव में हो तो सोना चांदी हीरा की चोरी होने की संभावना होता है।
  • चौथे भाव में सूर्य होने पर जातक को कभी भी लोहे का व्यापार नहीं करना चाहिए। ऐसे जातक के गुप्त शत्रु भी होते है।

#5. पांचवे भाव में सूर्य के अशुभ फल,

  • पांचवे भाव में सूर्य स्थित हो तो और दसवें भाव में गुरु हो तो जातक या जातिका पत्नी/पति सुख से वंचित होता है।
  • पांचवे भाव मे अशुभ सूर्य और शनि अशुभ फल कारक होकर तीसरे भाव में हो तो जातक के पुत्र विनाशकारी होते है।

#6. छठवें भाव में सूर्य के अशुभ फल,

  • सूर्य छठे भाव में स्थित होने पर ननिहाल और संतान पर दुष्प्रभाव, मंद दृष्टि, मामा, पुत्र और जातक के स्वयं स्वास्थ्य पर नकरात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • रात को नींद नहीं आती है।
  • सूर्य छठवे भाव में मंगल दसवें भाव में हो तो जातक के पुत्र विनाशकारी होते है।
  • सूर्य छठवे में हो और बारहवे भाव में चंद्रमा स्थित हो तो जातक की पत्नी अंधी या स्वयं जातक अंधा हो सकता है।
  • छठवे में सूर्य हो और लग्न अर्थात पहले भाव मे राहु, शनि हो तो 42 से 50 साल तक का समय कष्टकारी होता है।

#7. सप्तम भाव में सूर्य के अशुभ फल

  • सूर्य सप्तम भाव में हो और दूसरे भाव में शुक्र या पाप युक्त ग्रह स्थित हो तो जातक/ जातिका के पत्नी /पति, माता - पिता को कष्ट रहता है | 
  • सूर्य सप्तम भाव में हो और दूसरे भाव में शुक्र या पाप युक्त ग्रह स्थित हो तो जातक/ जातिका को ससुराल सुख से वंचित रहना पड़ता है |
  • सूर्य सप्तम भाव में हो तो जातक नमक अधिक खाता है, क्रोधी होता है और ऐसे जातक को समाज से अपयश मिलता है।
  • सूर्य सप्तम भाव में हो गुरु, शुक्र या पापग्रह ग्यारहवें भाव में हो तो जातक के परिवार में अनेक ब्यक्ति को मृत्यतुल्य कष्ट प्राप्त होता है| एवं घर में रोग ही रोग जैसे दमा, खांसी, क्षय रोग बना रहता है।

#8. अष्टम भाव में सूर्य के अशुभ फल

  • अष्टम भाव में सूर्य हो हर गुरु भी अशुभ स्थिति में हो तो जातक भाग्यहीन होता है| 
  • अष्टम भाव का सूर्य अशुभ फल ही देता है, और ऐसे जातक क्रोधी पराई स्त्रियों से प्रेम करने वाला और अनेक प्रकार के विघ्न से त्रस्त रहता है।

#9. नवम भाव में सूर्य के अशुभ फल

  • नवम भाव यदि सूर्य अशुभ स्थिति में हो तो ऐसे जातक दुष्ट प्रवृत्ति के वह भाइयों से दुखी रहते हैं अगर बुध से युति है तो यह योग अधिक प्रबल माना जाता है अर्थात कहने का तात्पर्य है कि नवम भाव भाव में अगर सूर्य और बुध एक साथ हैं, तो ऐसे जातक दुष्ट प्रवृत्ति के होते हैं।

#10. दसवें भाव में सूर्य के अशुभ फल

  • दसवें भाव में अशुभ सूर्य पुरुष ग्रह से युति या दृष्टि ना हो और चंद्रमा पांचवें भाव में हो तो जातक की आयु कम होती है और ऐसे जातक दुखी और संतान के लिए हितकारी नहीं होते हैं सूर्य दसवें भाव में हो और चंद्रमा चौथे भाव में हो तो जातक को राजकीय सुख मिलता है।
  • सूर्य दसवें भाव में स्थित होने पर जातक को नौकर चाकर व वाहन का भी सुख मिलता है
  • सूर्य दसवें भाव में हो शुक्र चौथे भाव में हो तथा शनि अशुभ हो तो ऐसे जातक को बचपन में ही पिता का सुख नहीं मिलता है।
  • दसवें भाव में सूर्य हो और चंद्रमा दूसरे भाव में हो तो जातक के माता को 24 वर्ष में अरिष्ट रोग होगा।
  • सूर्य दसवें भाव में हो और छठ में आठवें भाव में पाप ग्रह हो तो ऐसे जातक के 34 वर्ष होने पर सारा परिवार दुखित रहने लगता है।
  • सूर्य दसवें भाव में हो और चौथे भाव में कोई ग्रह ना हो तो जैसे जातक को राजकीय लाभ नहीं मिलता है।

#11. ग्यारहवें भाव में सूर्य के अशुभ फल

  • ग्यारहवें भाव में सूर्य स्थित हो और पुरुष ग्रहों से युक्त ना हो तथा पांचवे भाव में चंद्रमा हो तो ऐसे जातक को संतान सुख से वंचित रहना पड़ सकता है।

#12. बारहवें भाव में सूर्य के अशुभ फल 

  • बारहवे भाव में यदि सूर्य अशुभ स्थिति में है तो जातक को मस्तिष्क सम्बंधित रोग, राज्य भय, अपयश मिलता है|  
  • बारहवे भाव में यदि सूर्य अशुभ स्थिति में है तो जातक को  सहायता करने से हानि  | 
  • बारहवे भाव में यदि सूर्य  और चन्द्रमा छठवे भाव में हो तो जातक अथवा उसकी पत्नी अंधे हो सकते हैं| 
  • बारहवे भाव में यदि सूर्य हो और लग्न में पाप ग्रह हो तो ब्यक्ति परेशान रहता है।

निष्कर्ष:

आशा करते है RATNGYAN WEBSITE के द्वारा यह जानकारी द्वादश भाव में सूर्य के शुभ-अशुभ फल से सम्बंधित लेख अच्छा पढ़कर अच्छा लगा होगा। ऊपर हम सभी Jyotish Shastra: कुंडली के अनुसार द्वादश भाव में सूर्य के शुभ और अशुभ फल क्या हैं? के बारे में जान गए हैं भावानुसार और अब सूर्य के अशुभ फल के उपाय क्रमशः पहले भाव, दूसरे भाव, तीसरे भाव, चौथे भाव, पांचवे भाव, छठवें भाव, सातवें भाव, आठवें भाव, नौवें भाव, दसवें भाव, ग्यारहवें भाव और बारहवें भाव में क्या है?

महत्वपूर्ण नोट - यह लेख धार्मिक आधार पर उल्लेखित किया गया है जिसमे किसी भी तरह की विसंगति की स्थिति में रत्न ज्ञान वेबसाइट की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी
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