जीवन में अहंकार होना चाहिए या आत्मविश्वास ? जरूर पढ़ें यह लेख।
नमस्कार प्यारे दोस्तों, मैं ज्योतिषाचार्य गौरव समय समय पर कुछ महत्वपूर्ण लेख प्रस्तुत करते रहता हूं। इस लेख में अहंकार और आत्मविश्वास को विस्तृत रूप से समझाने का प्रयास किया गया है। इस पूरे धरती पर तरह तरह के लोग हैं। कोई देखने में बहुत सहज दिखाई देता हैं तो वहीं कुछ लोग देखने में बहुत असहज दिखाई देते हैं। अनेक प्रकार के व्यक्ति में कुछ न कुछ अच्छाई होता है तो वहीं कुछ बुराई भी देखने को मिलता है। क्या कारण है की कुछ लोग पढ़े लिखे होने के बावजूद भी समाज में इज्जत, मान - सम्मान नहीं पाते है? कहीं न कहीं उनमें कमियां होती ही है।
जीवन में अहंकार होना चाहिए या आत्मविश्वास
इस आर्टिकल को पढ़कर आपको जरूर समझ में आ जायेगा कि जिंदगी में अहंकार होना चाहिए या आत्मविश्वास। लेकिन सबसे पहले हम आप सभी लोगों को अहंकार और आत्मविश्वास के बारे में बताएंगे।
अहंकार
अहं का अर्थ है_ मैं । जिसको कह सकते है कि अपने आप में घमंड होना। जब किसी व्यक्ति के अंदर अहंकार प्रवेश कर जाता है तो ऐसे व्यक्ति वचाली हो जाते है। क्या बोल जाते हैं कुछ भी पता नहीं होता है। और धीरे धीरे अपनी छबि खुद धूमिल करने लगते है। खुद सोचने वाली बात है अहंकार इंसान को दीमक की तरह चाल देती है और व्यक्ति धीरे धीरे टूटता जाता है। और वक्त बीतते जाता है। फिर बाद में प्रायश्चित करता है।
ऐसे बहुत से घटना है ग्रंथों में जिसके द्वारा अहंकार को समझा जा सकता है,
अहंकार रावण का भी था कि मैं विद्वान हू अर्थात मेरे जितना ब्राम्हणों में कोई श्रेष्ठ नहीं है। अंत बहुत गलत हुआ रावण मारा गया जिसको वरदान भी था अमरत्व का।
हिरण्य कश्यप को इस बात का अहंकार हो गया की देवता के जगह पर हमारी पूजा लोग करे और हिरण्य कश्यप को ब्रम्हा जी से अमरत्व का वरदान भी था फिर भी अपने अहंकार के कारण मारा गया नृसिंह भगवान के द्वारा जोकि विष्णु भगवान के अवतार थे।
आत्मविश्वास
आत्मविश्वास दो शब्दों से मिलकर बना है - आत्मा + विश्वास। आत्मा का अर्थ है अपने अंतर्मन को जानना और विश्वाश का अर्थ है अपने सामर्थ्य को पहचानना। जिनलोगों के आत्मविश्वास जागृत होते है उनके अंदर सोचने समझने की प्रबल क्षमता विकसित होता है। कोई भी कार्य तभी करते है जब उनका अंतर्मन गवाह करे कि अमुक कार्य करने जा रहे है क्या वह कार्य सही है। आत्मविश्वास व्यक्ति निरंतर सफल रहता है और समाज में खूब मान सम्मान भी पाता है। जिस इंसान को खुद पर विश्वास होता है तो उसके अंदर कभी अहं जन्म नहीं लेता है। और ऐसे इंसान सफल भी व रहते हैं। कितनी बड़ी से बड़ी बला हो जिन व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास होता है वे स्वयं से बिना किसी के नुकसान किए टाल सकते है। अतः लाइफ में सफल होने के लिए आत्मविश्वास होना बहुत जरूरी है।
अहंकार और आत्मविश्वास में अंतर
इसका उत्तर तो आपलोग को बहुत अच्छे तरीके से समझाओंगा जिससे खुद भी अपने आप को आंक कर सुधार कर सकते है कि आप कितने प्रतिशत आत्मविश्वासी है और कितने प्रतिशत अहंकारी है।
आत्मविश्वास और अहंकार एक ही फैमिली के दो सदस्य हैं। लेकिन इन दोनों में अंतर बस इतना है कि आत्मविश्वास कहता है कि मैं बहुत अच्छा हूं लेकिन अहंकार कहता है सिर्फ और सिर्फ मैं ही अच्छा हूं मेरे सिवा कोई दूसरा अच्छा नहीं है।
जिस व्यक्ति को आत्मविश्वास होता है वह सिर्फ मुसीबतों में इतना कहता है की मैं हार नहीं सकता हूं परंतु जिस व्यक्ति को अहंकार होता है तो ऐसे व्यक्ति कहते है मुझे कोई हराने वाला पैदा ही नहीं हुआ है।
अहंकार जिस व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर जाता है तो ऐसे व्यक्ति कहते हैं कि मेरा कोई मुकाबला नहीं कर सकता परंतु जिस व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास होता है वह कहता है कि मैं हर मुकाबले के लिए तैयार हूं।
अहंकार और आत्मविश्वास में अंतर समझने के लिए अंत में इतना ही कहना चाहूंगा कि चाहे वो अहंकार हो या आत्मविश्वास कहते दोनों ही हैं और करके दिखाते भी दोनो है। फर्क बस केवल इतना है कि आत्मविश्वास की गूंज सफलता तक जाती है और अहंकार की गूंज विनाश की ओर ले जाती है।