कार्तिक मास और सुख सम्पन्नता के लिए सर्वाधिक लाभकारी है तुलसी माता की आरती | Tulsi Mata Aarti Jai Jai Tulsi Mata |
Tulsi Mata Aarti: नमस्कार प्यारे भक्तों इस आर्टिकल में तुलसी माता की आरती लिखित में एवं Tusli Aarti PDF | तुलसी आरती पीडीऍफ़ सहित प्रस्तुत है। *इस कलयुग में तुलसी माता का दर्शन साक्षात हर जगह पर लगभग हो ही जाता है। हिंदू धर्म में पीपल, बरगद, चंदन, तुलसी का अत्यधिक महत्व है।
तुलसी जी के पूर्व जन्म का नाम वृंदा था और पतिव्रता नारी थी । परंतु कथा मिलती है की श्राप के कारण ही वृंदा नाम की नारी तब से पौधे के रूप में तुलसी नाम से प्रसिद्ध हुई। देवताओं के आशीर्वाद से तुलसी जी का पूजन अर्चन और आरती इस कलयुग में लोग गाते हैं।
जो भी माताएं बहनें पतिव्रता है और अपने घर के आंगन में तुलसी जी लगाकर एक दीपक के साथ तुलसी माता की आरती (Tulsi Mata Aarti: Jai Jai Tulsi Mata पढ़ती है, तो उनके पति के सभी संकटों से मुक्ति तुलसी जी स्वयं कर देती हैं।
आइए पढ़ते हैं,
तुलसी माता की लिखित आरती | Tulsi Mata Aarti : Jai Jai Tulsi Mata
जय जय तुलसी माता||
सब जग की सुख दाता, वर दाता||
जय जय तुलसी माता||1||
सब योगो के ऊपर,
सब रोगों के ऊपर,
रुज से रक्षा करके, भव त्राता.
जय जय तुलसी माता||2||
बहु पुत्री हे श्यामा,
सुर बल्ली हे ग्राम्या.
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे,
सो नर तर जाता.
जय जय तुलसी माता||3||
हरि के शीश विराजत,
त्रिभुवन से हो वन्दित.
पतित जनो की तारिणी,
तुम हो विख्याता.
जय जय तुलसी माता||4||
दिव्य भवन में.
मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता.
जय जय तुलसी माता||5||
हरि को तुम अति प्यारी.
श्यामवरण सुकुमारी.
प्रेम अजब हैं उनका.
तुमसे कैसा नाता.
जय जय तुलसी माता||6||
Tusli Aarti PDF | तुलसी आरती पीडीऍफ़
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