Bhajan: कण कण में बसा प्रभु देख रहा चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो |
नमस्कार प्यारे भक्तों यह Bhajan: कण कण में बसा प्रभु, देख रहा चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो गानें में हमें बहुत अच्छा लगा आप सभी लोगों के लिए यह भजन लिखित रूप में प्रस्तुत किया हूँ | आप सभी को बताना चाहूँगा यह भजन पंडित सत्यपाल पथिक जी के द्वारा गाया गया है | सत्यपाल जी को बहुत नमन जोकि इतना मधुर आवाज में भजन को अपना स्वर दिए हैं |
Bhajan: कण कण में बसा प्रभु देख रहा चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो
Bhajan: कण कण में बसा प्रभु देख रहा चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो |
कण- कण में बसा प्रभु, देख रहा!
चाहे पुण्य करो, चाहे पाप करो |
कण- कण में बसा प्रभु, देख रहा!
चाहे पुण्य करो, चाहे पाप करो |
कोई उसकी नजर से बच न सका,
चाहे पुण्य करो, चाहे पाप करो||
कोई उसकी नजर से बच न सका,
चाहे पुण्य करो, चाहे पाप करो||
यह जगत रचा है, ईश्वर नें!
जीवों के कर्म करने के लिए,
यह जगत रचा है ईश्वर नें!
जीवों के कर्म करने के लिए
कुछ कर्म नयें करने के लिए,
पहले जो किये, भरने के लिए,
यह आवागमन का, चक्र चला,
चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो
कण- कण में बसा प्रभु, देख रहा!
चाहे पुण्य करो, चाहे पाप करो |
अधिकार मिला है, ज़माने में,
इंसान सुबह शुभ, कर्म करे,
अधिकार मिला है, ज़माने में,
परतंत्र सदा फल पानें को,
मिलता है सभी को, अपना किया,
चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो
कण- कण में बसा प्रभु, देख रहा!
चाहे पुण्य करो, चाहे पाप करो |
कण- कण में बसा प्रभु, देख रहा!
चाहे पुण्य करो, चाहे पाप करो |
कोई उसकी नजर से, बच न सका,
चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो
इस दुनिया में कृत, कर्मों का फल,
हरगिज माफ़ नहीं होता
हरगिज माफ़ नहीं होता
जब तक न यहाँ, भुगतान करो,
यह दामन साफ़, नहीं होता
रहे याद कथित यह, नियम सदा,
चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो
कण- कण में बसा प्रभु, देख रहा!
चाहे पुण्य करो, चाहे पाप करो |
कोई उसकी नजर से, बच न सका,
चाहे पुण्य करो चाहे पाप करो||