भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या क्यों मिली थी? क्या है इसके पीछे की कहानी - RATNGYAN

जो जगत में रहते हुए बुरे कर्मों से मुक्त हो गया समझ लो वह जीवन से मुक्त हो गया | वो परम मोक्ष प्राप्त करने का अधिकारी हो गया | क्योंकि कर्म ही मनुष्य के जीवन की वह श्रृंखला है जो सम्मान दिलाती है तो कहीं अपमान दिलाती है। जब भीष्म पितामह, और राजा दशरथ जी को कर्मों का फल भोगना पड़ा तो हम आप क्या हैं। अभी तक हम लोग सुनते थे जो दोगे वही लौट के वापस मिलेगा सम्मान या अपमान। लेकिन भीष्म पितामह की यह कहानी सुनने के बाद आप भी समझ जाएंगे कि कर्मों का फल वास्तव में भोगना पड़ता है इसमें कोई दो राय नहीं है, बस आज नहीं तो कल। भीष्म पितामह अपने 100 साल पहले के कर्मों के कारण ही बाणों की शैय्या मिली थी। आइए पूरी कहानी जानते है, कि -

भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या क्यों मिली थी (Bhishma Pitamah Ko Bano Ki Saiya Kyu Mili)

बाणों की शैय्या पर भीष्म पितामह लेटे हुए थे तभी कृष्ण भगवान पहुंचते हैं। कृष्ण भगवान को देखकर भीष्म पितामह प्रणाम करते हैं। और प्रश्न पूछते हैं कि हे गोविन्द आप तो विधाता है सर्वज्ञ ज्ञानी हैं। बताइए मुझसे ऐसा कौन सा अनर्थ हो गया था कि मुझे आज बाणों की शैय्या मिली?

हे गोविन्द मैंने तो जीवन भर तुम्हारा नाम लिया है। रोज विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया है। फिर भी ऐसा क्या कारण है कि मेरा बुढ़ापा और अंत अवस्था बाणों की शैय्या पर मैं पड़ा हुआ हूं, एवम मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहा हूं|भीष्म पितामह के पूछने पर भगवान कृष्ण ने 100 साल पहले की घटना सुनाई। कृष्ण भगवान ने कहा कि हे पितामह तुमको यह सजा क्यों मिली हैं तुम सुनों 100 साल पहले अपने मंत्रियों के साथ तुम कहीं जा रहे थे। मंत्रियों ने रास्ते में पड़ा हुआ सांप देखा और तुम्हे सूचना दिया। तुमने वाण की नोंक से उठाकर सांप को कांटे के ढेर में फेंक दिया था। जितने कांटे सांप के शरीर में 100 साल पहले लगे थे ठीक उतने ही वाण आज तुम्हारे शरीर में लगे हुए हैं। हे पितामह यह तुम्हारे ही कर्मों का फल है जो आज तुमको बाणों की शैय्या मिली है।

निष्कर्ष

आशा करते हैं RATNGYAN- Complete Knowledge of Indian Astrology के द्वारा लिखी गई लेख "भीष्म पितामह को बाणों की शैय्या क्यों मिली थी? क्या है इसके पीछे की कहानी - RATNGYAN" आप सभी को अच्छा लगा होगा। इसी तरह समय समय पर अन्य जानकारी प्रस्तुत किए जाते हैं। अंत में यही कहना चाहेंगे कि कर्म सदेव अच्छा रखना चाहिए क्योंकि कर्म का फल तो कभी न कभी किसी रूप में भोगना पड़ता है। कर्म ही आपके भविष्य का निर्माण करते हैं।

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