Kedarnath Jyotirling: केदारनाथ के भक्त को मुक्ति कैसे मिली कैसे पहुंचा शिवलोक जरूर पढ़ें यह लेख - RATNGYAN
भगवान भोलेनाथ के ज्योतिर्लिंग को कौन नहीं जानता है। पूरे संसार में केदारनाथ की महिमा का बखान किया जाता है। प्रेम से केदारेश्वर महाराज भी कहते हैं। हम लोग धर्म से संबंधित कुछ न कुछ कहानी तो जरूर सुनते है उसमे से आज हम "केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के भक्त को मुक्ति कैसे मिली एवं कैसे मिला जन्म मृत्यु के बंधनों से मुक्ति" इसकी एक कहानी के माध्यम से बताएंगे।
Kedarnath Jyotirling: केदारनाथ के भक्त को मुक्ति कैसे मिली कैसे पहुंचा शिवलोक जरूर पढ़ें यह लेख - RATNGYAN-
भगवान भोलेनाथ की पूजा जो कोई भी भक्त करता है वह व्यक्ति सभी लोगों का प्रिय हो जाता है एवं जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है और शिवलोक का निवासी हो जाता है।
कुछ समय पहले चंडीगढ़ के अग्रवाल फैमिली में बाप, बेटे और मां तीन लोग रहते थे। बेटा जिसका नाम संजय था दिल्ली के पास किसी कंपनी में नौकरी करता था। अग्रवाल परिवार का हमेशा से ही भगवान भोलेनाथ में मन लगा रहता था और भक्ति भी खूब करते थे। हमेशा हर दिन रात भगवान शिव को मन में हर सांस में बसा कर रखते थे।
संजय के माता पिता की बहुत ज्यादा इच्छा थी केदारनाथ के दर्शन करने की। लेकिन किसी न किसी कारणवश संजीव के माता पिता जी केदारनाथ जाने में असमर्थ रहते था। कुछ समय बाद पता चला कि कालोनी के कुछ लोग बस बुक करके केदारनाथ जा रहे है। इस पर माता पिता ने संजीव से संपर्क कर दिल्ली से छुट्टी लेकर चंडीगढ़ आने को कहा और केदारनाथ जाने की इच्छा प्रकट की। लेकिन कामकाज के चलते बेटे को छुट्टी नहीं मिला और बेटा चंडीगढ़ नही जा पाया इस पर मां बाप ने संजीव के ऊपर खूब गुस्सा किया। और बोले कि तबीयत तो ठीक नहीं रहती मेरी। और उन्होंने जिद से जाने का प्लान भी अकस्मात बना लिया। किसी तरह वह केदारनाथ तो पहुंच गए। लेकिन जब चढ़ाई करनी हुई तो कुछ समय में ही सारी समस्या आ खड़ी हुई। क्योंकि उम्र ज्यादा होने पर समय होना भी स्वाभाविक है। फिर किसी तरह से कुछ दूर तक चले कि एकदम से बैठ गए क्योंकि अब वो हार मान चुके थे कि शायद नहीं चढ़ पाऊंगा।
कुछ समय पश्चात एक लड़का लगभग तेईस चौबीस साल का संजय के माता पिता जी के पास आया। और बोला क्या समस्या है अंकल। इस पर संजय के पिता जी ने जवाब दिया कि हम लोग भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने आए थे लेकिन बेटा अब मुझ से चला नहीं जा रहा है। जान ही रहे हो उम्र भी काफी ढल गया है। इस पर लड़के ने बोला कोई बात नहीं अंकल मैं लेके चल रहा हूं। संजय के मां बाप को सुनकर यह बात बहुत आश्चर्यजनक लगा कि जिसको न मैं जानता हूं और न ही पहचानता हूं वो आखिर मेरी मदद क्यों कर रहा है। संजय बाबा केदारनाथ के पावन धाम पहुंचा कर बोला कि अंकल आप लोग विश्राम कर लीजिए और सुबह दर्शन कराने के समय पर मैं पुनः आ जाऊंगा फिर वहां से वह लड़का चला गया।
अगले दिन नियत समय पर संजय के माता पिता को दर्शन कराने के लिए लड़का आ पहुंचा। संजय के माता पिता को दर्शन कराने के बाद लड़का जाने लगता है। तभी संजय के माता पिता उस लड़के से पूछते है कि बेटा कहां के रहने वाले हो तब लड़के ने बोला कि मेरा घर चंडीगढ़ है आया था घूमने यहां लेकिन जब आप लोगों को असहज देखा तो मन हुआ कि दर्शन करवा दूं। संजय के माता पिता ने बताया की बेटा मैं भी चंडीगढ़ से हूं मैं आऊंगा तुम्हारे घर। इस पर बालक ने बोला हां अंकल क्यों नहीं जरूर आइएगा मेरे बहन की शादी भी है। लड़के ने अपना नंबर और पता सब बता दिया।
जब संजय के माता पिता घर पहुंचे तो सारा वृतांत संजय को बता दिए और बोले कि उस लड़के ने बहुत मदद करी है हमारी और उसके घर बहन की शादी है तुम जरूर चले जाओ मैं नहीं जा पाऊंगा। संजय पिता जी की बात मानकर उस लड़के के घर पर जाते हैं लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि उस लड़के का घर तो वही था लेकिन वह लड़का केदारनाथ जाने के बाद वापस नहीं आया। उसके घरवाले बताए की हमारा बेटा बाबा केदारनाथ गया था आज के 15 साल पहले तब से आज तक वापस नहीं लौटा।
संजय लौट कर आए और अपने माता पिता को बताए कि इस बालक का घर तो मिल गया था लेकिन उस बालक का केदारनाथ जाने के बाद कुछ पता नहीं है। तब संजय के माता पिता को एहसास हुआ भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की महिमा के बारे में वह कोई और नहीं बल्कि शिवलोक का निवासी था।
आशा करते हैं कि RATNGYAN वेबसाइट के माध्यम से लिखी गई लेख "केदारनाथ के भक्त को मुक्ति कैसे मिली कैसे पहुंचा शिवलोक जरूर पढ़ें यह लेख - RATNGYAN" पढ़कर अच्छा लगा होगा।