कैसे हुई बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना एवं रावण के पेशाब से बने तालाब का रहस्य जरूर पढ़ें | Baijnath Jyotirling Ki Sthapna and Ravan Ke Peshab Se Bana Talab |
प्रिय पाठकों, जय श्री महाकाल आप सभी लोगों का रत्नज्ञान वेबसाइट पर पधारने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. हिंदू धर्म से संबंधित रोचक कहानी को पढ़कर आप सभी लोग अधिक से अधिक लोगों को शेयर जरूर करें. प्रस्तुत आर्टिकल में रावण के पेशाब से बने तालाब और बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirling) की स्थापना से संबंधित है. अतः इस रोचक कहानी को पूरा जरूर पढ़ें एवं कमेंट में जय बाबा बैजनाथ धाम की अवश्य लिखें.
रावण को कौन नहीं जानता होगा. जिसने अपनी भक्ति शक्ति से सभी ग्रहों एवं देवी देवताओं को वश में कर लिया था. रावण भगवान भोलेनाथ का अनन्य भक्त था. कहानी मिलती है कि रावण की मंशा थी कि भगवान शिव को प्रसन्न करके लंका ले जाने की, परंतु संयोगवश रावण भगवान शिव के शर्तों के मुताबिक शिवलिंग रूप में ले जाना चाहा. किंतु रावण को पेशाब लग जाने के कारण भगवान शिव के शिवलिंग को ले न जा सका.
बाबा बैद्यनाथ धाम से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातें-
- बाबा बैद्यनाथ धाम (Baba Baidyanath Jyotirling) 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है.
- बाबा वैद्यनाथ धाम को रावणेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है.
- बाबा बैद्यनाथ धाम को झारखंड वाले बाबा के नाम से जाना जाता हैं.
- बाबा बैद्यनाथ (Baba Baidyanath Dham) एकमात्र ऐसा धाम है, जहां ज्योतिर्लिंग के साथ ही साथ प्रमुख शक्तिपीठ भी है.
- बाबा बैद्यनाथ धाम की स्थापना भगवान विष्णु जी स्वयं एक बालक के रूप में आकर किए थे.
- बाबा बैद्यनाथ धाम में एक ऐसा तालाब जो रावण के लघुशंका के कारण से बना सबसे अनोखी बात आज भी इस कलयुग में यह तालाब है.
मेरा व्यक्तिगत अनुभव है जब मैने भगवान शिव के बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना से संबंधित कहानी पढ़ा तो जैसे लग रहा था भगवान भोलेनाथ मेरे साथ हैं, और साथ ही साथ भगवान विष्णु की महिमा सुनकर तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. ऐसी रोचक जानकारी पढ़कर मैं सच में कितना खुश हूं बता नहीं सकता जिस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं भगवान विष्णु जिन्हे पालनहार कहते हैं उन्होंने किया है ऐसे बैजनाथ धाम ज्योतिर्लिंग को कोटि कोटि प्रणाम.
बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना|Baidyanath Jyotirling Ki Sthapna
भगवान शिव के अनन्य भक्त रावण जो घोर तपस्या एवं भक्ति से भगवान भोलेनाथ को खुश करके लंका ले जाने को मन बना लिया. रावण के जिद करने पर भगवान भोलेनाथ ने कहा कि तथास्तु. हे लंकापति रावण! मैं तुम्हारे साथ लंका चलने को तो तैयार हूं, लेकिन मेरी एक शर्त है. तुम मुझे शिवलिंग रूप में ले चलो, परंतु तुम शिवलिंग को लंका ले जाते समय रास्ते में कहीं रखना नहीं और यदि किन्हीं कारणवश कहीं भी तुमने शिवलिंग रख दिया तो मैं हमेशा - हमेशा के लिए उसी स्थान पर बिराजमान हो जाऊंगा.
रावण अहंकारयुक्त था और अपने शक्ति सामर्थ्य पर अटूट विश्वास होने के कारण हंसा और भगवान भोलेनाथ के शर्तों को स्वीकार करके लंका की ओर शिवलिंग को लेकर चलने लगा. जब सभी देवता को पता लगा कि रावण शिवलिंग को लंका ले जा रहा है, तो सभी देवगण घबराने लगे तत्पश्चात भगवान विष्णु जी के पास जा पहुंचे. सभी देवता ने विष्णु भगवान से कहा कि प्रभु यदि रावण भगवान शिव को लंका ले गया तो अनर्थ हो जाएगा.
इस प्रकार देवता के प्रार्थना करने पर विष्णु भगवान ने एक छोटे बालक का रूप धारण किए और रावण के पास जा पहुंचे. ठीक उसी समय रावण के पेट में गंगा जी का वास हो गया और रावण को बहुत तेजी से लघुशंका (पेशाब) आ गया. रावण का नजर बालक (विष्णु भगवान के रूप में) पर पड़ी. रावण ने शिवलिंग को बालक को दिया और बोला धरती पर मत रखना बस पकड़े रहना और हम लघुशंका (पेशाब) करके आ रहे हैं. प्रभु की माया ऐसी कि रावण के पेट में गंगा जी के होने की वजह से लघु शंका से निवृत्त ही न हो सका, और रावण लघु शंका करते ही रह गया. जिसको रावण बालक समझ रहा था साक्षात विष्णु भगवान ने शिवलिंग को धरती पर रख दिया. भगवान भोलेनाथ में उसी स्थान पर स्थापित हो गए.
जिस स्थान पर शिवलिंग को बालक के वेश में विष्णु भगवान ने रखा आज भी उसी स्थान को बाबा बैजनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. इस प्रकार बाबा बैजनाथ धाम की स्थापना हुई जो एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग के रूप में भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में जाना जाता है.
रावण के पेशाब से बना तालाब | Ravan Ke Peshab Se Bana Talab |
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाबा वैद्यनाथ धाम के समीप दो तालाब है. एक तालाब ऐसा है जिसको पवित्र मानते हैं और लोगों के आस्था का केंद्र भी है, जिस पानी से लोग स्नान इत्यादि धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, परंतु एक तालाब के पानी को आज भी कोई नहीं छूता है, इसके पीछे की पौराणिक कथा यह है कि जब रावण भगवान शिव के शिवलिंग को लंका ले जा रहा था तब लघुशंका आने के कारण एक बालक जोकि विष्णु भगवान को शिवलिंग पकड़ा कर लघुशंका करने लगा था. इसलिए ऐसा कहा जाता है कि जिस जगह पर रावण ने पेशाब किया था वह आज एक तालाब के रूप में प्रचलित है और अछूता माना जाता है. क्योंकि रावण के मूत्र से इस तालाब का नाता है.