भगवान शिव जी ने हनुमान अवतार क्यों लिया एवं हनुमान जी कौन से रूद्र अवतार हैं? जानें सम्पूर्ण कहानी |

नमस्कार प्रिय पाठकों, यह कहानी उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो लोग पवनसुत हनुमान जी के भक्त है और पूरी श्रद्धा के साथ पूजा पाठ हनुमान जी की करते है उनके मन में ऐसे सवाल जरूर आते ही होंगे कि शिव जी ने हनुमान अवतार क्यों लिया? और साथ ही साथ यदि इस कहानी को पूरा पढ़ते हैं तो यह भी समझ में आ जायेगा कि हनुमान जी कौन से रूद्र अवतार हैं. हनुमान जी को रुद्रावतार भी कहते हैं. इस आर्टिकल को पढ़कर आप समझ जायेंगे कि भगवान शिव जी ने हनुमान अवतार क्यों लिया था एवं इसके पीछे की कहानी क्या है और साथ ही साथ हनुमान जी शिव जी के कौन से अवतार के रूप में हैं?

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भगवान शिव जी ने हनुमान अवतार क्यों लिया एवं हनुमान जी कौन से रूद्र अवतार हैं? जानें सम्पूर्ण कहानी |

आइये जानते हैं कि भगवान शिव जी ने हनुमान अवतार क्यों लिया  

वास्‍तव में शिव का अवतार हनुमान ही थे और यह भी सत्‍य है कि भगवान रामचन्द्र ही शिव के हनुमान अवतार का कारण बने थे. श्री रामचरित मानस में बताया गया है, कि एक बार भगवान शिव जी की इच्छा हुई कि पृथ्वीलोक में चलकर प्रभु श्री राम के दर्शन किये जायें। उस समय भगवान श्री राम चन्द्र जी की आयु लगभग 5 वर्ष के आसपास थी. भगवान शिव जी के सामने समस्‍या यह थी, कि- वह अपने असली रूप में नहीं जा सकते थे. ऐसे में एक दिन भगवान शिव जी ने माँ गौरा से बोले कि हे देवी जानती हो, मेरे राम ने पृथ्‍वी पर जन्म लिया है और उनके दर्शन की सेवा का मन हुआ है. मेरी इच्छा है, कि मैं  अब यहां से उस लोक को  चला जाऊं, जिस लोक में प्रभु श्रीरामचन्द्र जी हैं वही मैं भी निवास करूं.

यह सुनकर माता पार्वती जी विचलित हो गयी और दुखी मन से बोली कि- हे! स्वामी मुझसे ऐसी कौन सा गलती हो गया है? कि आप मुझे अकेले यहाँ छोड़कर पृथ्‍वीलोक पर रहने के लिए रहे हैं, और उन्‍होंने कहा हे स्वामी आप यदि जाना चाहते है तो जाइए लेकिन एक बात मेरी सुन लीजिए कि आपके बिना मैं यहां एक पल भी जीवित नहीं रहूंगी.

माता पार्वती जी के बात को सुनकर भगवान भोलेनाथ जी को अहसास हुआ कि माता पार्वती जी उनके बगैर नहीं रह सकती हैं. और अगर यहां से मैं गया तो इसका परिणाम बहुत गलत होगा क्योंकि माता पार्वती जी अपने प्राणों की बलि दे देंगी. ऐसे में शिव जी मोहमाया के चक्र - व्यूह में फंस गए क्योंकि एक तरफ माता गौरा के पास रहना था, और दूसरी तरफ भगवान श्री राम के लोक में भी जाना था.

इस प्रकार भगवान शिव जी ने अपने ग्यारह रुद्रावतार का पूरा राज माता पार्वती जी को बताया और बोले- देखो देवी इन ग्यारह रुद्रों में से एक रूप बानर का अवतार आज मैं लेने वाला हूं. एक रुद्राक्ष में से आज एक रूप बानर का होगा. जो बाद में हनुमान के रूप में पूरे संसार में जाना जाएगा. शास्त्र में यह वर्णित भी है, कि भगवान शिव जी सबकुछ जानते थे. शिव जी  प्रभु श्रीराम जी के पूरे जीवनकाल को देख पा रहे थे, और वह जानते थे, कि- एक बार रामचन्द्र जी को पृथ्वी का कल्याण करने के लिए मेरी आवश्यकता होगी. शिव जी को पता था कि कलयुग में प्रभु श्रीरामचन्द्र जी और स्वयं नजर नहीं आयेंगे, और धरती पर कोई भी अवतार  नहीं होगा.

इसलिए शिव जी ने अपने एक प्रबल अर्थात सर्वाधिक शक्तिशाली रूप को ग्यारहवें रूप में हनुमान जी को अवतरित किया. जो इस कलयुग में भी अजेय है, और पृथ्वी लोक के समस्त प्राणियों के दुःख पीड़ाओं को दूर करेगा. इसलिए इस कलयुग में भक्त आज भी हनुमान जी के दर्शन साक्षात् कर लेते हैं, और इस बात के बहुत से साक्ष्य भी इस धरती पर मिल चुके हैं कि पवनपुत्र हनुमान जी आज भी इस धरती सिद्ध देव के रूप में मौजूद हैं.


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