केदारनाथ को जागृत महादेव क्यों कहते हैं? क्या है, इसके पीछे कहानी (Kedarnath Ko Jagrat Mahadev Ki Kahani In Hindi)

Kedarnath Ko Jagrat Mahadev Ki Kahani In Hindi: बाबा केदारनाथ धाम की अत्यधिक महत्वता श्री शिवमहापुराण में बताया गया है | 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में पूरे विश्व में जाना जाता हैं | जोकि हिन्दुओं का प्रमुख आस्था का केंद्र है | केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल के निकट हिमालय के ऊँचे चोटी पर स्थित है | ऐसा कथित है की केदारनाथ मंदिर की स्थापना जगद्गुरु शंकराचार्य ने की थी | 

केदारनाथ को जागृत महादेव क्यों कहते हैं? क्या है इसके पीछे कहानी (Kedarnath Ko Jagrat Mahadev Ki Kahani In Hindi)

पूरे विश्व में आज भी भगवान शिव को शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है | बहुत समय पहले की बात है, जब उतने आवागमन के साधन, हवाई मार्ग भी नहीं थे | भगवान केदारनाथ का एक शिव भक्त पैदल ही केदारनाथ मंदिर की यात्रा के लिए निकल गया किसी तरीके से केदारनाथ मंदिर तो पहुंचा परन्तु दर्शन नही मिल पाया फिर भी उस भक्त ने सिर्फ और सिर्फ केदारनाथ मंदिर नहीं अपितु प्रभु केदारनाथ (भगवान शिव - भोले) का साक्षात दर्शन अपनी भक्ति से प्राप्त कर लिया | आगे की कहानी बहुत ही रोचक है कृपया इस कहानी को स्वयं पढ़ें की कैसे भक्त ने अपने कठिन तपस्या से भगवान केदारनाथ (शिव ) को जागृत कर लिया | इसी सब कारणों से केदारनाथ धाम को जागृत महादेव (Jagrat Mahadev) के नाम से जाना जाता है |

केदारनाथ_को_जागृत_महादेव_क्यों_कहते_हैं_?_क्या_है_,_इसके_पीछे_कहानी_(_Kedarnath_Ko_Jagrat_Mahadev_Ki_Kahani_In_Hindi_)
केदारनाथ को जागृत महादेव क्यों कहते हैं? क्या है, इसके पीछे कहानी (Kedarnath Ko Jagrat Mahadev Ki Kahani In Hindi)

आइये जानते हैं, केदारनाथ को जागृत महादेव क्यों कहते हैं (Kedarnath Ko Jagrat Mahadev Ki Kahani In Hindi)

एक बार एक शिव-भक्त अपने गांव से केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकले | यातायात की सुविधा पहले जमाने में आज की अपेक्षा कम ही था इसलिए वह पैदल ही निकल पड़ा। रास्ते में जो भी लोग मिलते उनसे केदारनाथ का मार्ग पूछ लेते तत्पश्चात आगे बढ़ जाते | मन में भगवान शिव का ध्यान करते हुए चलते जा रहे थे | चलते - चलते कई महीने बीत गए। अंत में वह केदार धाम पहुच ही गया। केदारनाथ में मंदिर के द्वार 6 महीने के लिए ही खुलते है और 6 महीने बंद रहते है। वह उस समय पर पहुचा जब मन्दिर के द्वार बंद हो रहे थे। पंडित जी को उसने बताया वह बहुत दूर से महीनो की यात्रा करके आया है। पंडित जी से प्रार्थना की - कृपा कर के दरवाजे खोलकर प्रभु के दर्शन करवा दीजिये । लेकिन वहां का तो नियम है एक बार बंद तो बंद। नियम तो नियम होता है। वह बहुत रोया। बार-बार भगवन शिव को याद किया कि प्रभु बस एक बार दर्शन करा दो। वह प्रार्थना कर रहा था सभी से, लेकिन किसी ने भी नही सुनी।

पंडित जी ने बोला कि अब दर्शन करने यहाँ पर छ माह के बाद आना, 6 महीने बाद यहा के दरवाजे खुलेंगे क्योंकि यहाँ पर 6 महीने तक अत्यधिक सर्दी एवं बर्फ पड़ता है तत्पश्चात सभी लोग अपने अपने घरों की तरफ वापस होने लगे | लेकिन वह शिवभक्त वहीँ पर रह गया और दृढ निश्चय किया की बिना दर्शन किये नहीं जायेंगे | दर्शन न कर पाने की वजह से रोता रोते भक्त को नींद आ गयी | उसे अटूट विश्वाश था अपने भक्ति और भोले बाबा पर कि वह जरुर कृपा करेंगे | भूख प्यास से व्याकुल भक्त को अचानक किसी की आने की आहट सुनी। देखा एक सन्यासी बाबा उसकी ओर आ रहे है | वह सन्यासी बाबा उस के पास आये और पास में बैठ गए | पूछा - बेटा कहाँ से आये हो उस ने सारा हाल सुना दिया और बोला मेरा आना यहाँ पर व्यर्थ हो गया बाबा जी। बाबा जी ने उसे समझाया और खाना भी दिया। और फिर बहुत देर तक बाबा उससे बाते करते रहे। बाबा जी को उस पर दया आ गयी। वह बोले, बेटा मुझे लगता है, सुबह मन्दिर जरुर खुलेगा और तुम दर्शन जरुर ही करोगे |

बात करते - करते इस भक्त को कब नींद आ गया पता ही नहीं चला | सुबह के समय सूर्य जब भक्त की नींद खुली तो उसने इधर उधर बाबा जी को देखा परन्तु वह अदृश्य हो गए थे | इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता उसने देखा पंडित जी आ रहे है अपनी पूरी मंडली के साथ | उस भक्त ने पंडित जी को प्रणाम किया और बोला कि कल आप ने ही तो कहा था की मन्दिर 6 महीने बाद खुलेगा और इस बीच कोई नहीं आएगा पर आप तो सुबह ही आ गये। पंडित जी ने उसे गौर से देखा, पहचानने की कोशिश की और पुछा - तुम वही हो जो मंदिर का द्वार बंद होने पर आये थे ? जो मुझे मिले थे। 6 महीने होते ही वापस आ गए ! उस भक्त ने आश्चर्य से कहा की मैं तो कहीं नहीं गया था | कल आप ही तो मुझसे मिले थे बहुत रात हो गयी थी मैं यहीं सो गया था | पंडित जी के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा और उन्होंने कहा लेकिन मैं तो यह मंदिर 6 माह पहले बन्द करके गया था और आज 6 महीने के बाद आया हूँ। बड़े ही आश्चर्य की बात है, कि तुम छः महीने तक इस जगह पर जिन्दा कैसे रह सकते हो? पंडित जी और सारे मण्डली हैरान हो गए कि इतनी ज्यादा सर्दी में एक अकेला व्यक्ति कैसे छः महीने तक जिन्दा रह सकता है | 

तब उस भक्त ने मंदिर के पुजारी को सन्यासी बाबा के मिलने और उनके साथ की गयी सारी बातें बताते हुए भोला कि एक लोग सन्यासी के रूप में आये थे - जिनकी दाढी लम्बी एवं बड़ी - बड़ी जटा और एक हाथ में त्रिशुल, दुसरे हाथों में डमरू और पोशाक के रूप में मृग-शाला पहने हुए थे | पंडित जी और वहां पर उपस्थित सभी लोग उस शिव भक्त के चरणों में गिर गये और बोले हमने तो सारी जिंदगी लगा दिया इस केदारनाथ धाम में परन्तु भगवान् शिव का दर्शन नशीब नहीं हुआ सच में अत्यधिक चाहने वाले शिवभक्त तो तुम ही हो | तुमने तो साक्षात भगवान केदारनाथ का दर्शन कर लिया और तुमको बताना चाहेंगे कि वह कोई सन्यासी बाबा नहीं अपितु भगवान शिव थे, जिन्होंने तुम्हारी भक्ति से प्रशन्न होकर अपने योगमाया से तुम्हारे छ माह के दिन को एक ही रात में बदल दिया अर्थात कालखंड को छोटा कर दिया | यह सब तुम्हारी श्रद्वा और विश्वास एवं तुम्हारे पवित्र मन के कारण ही संभव हुआ है। आपकी भक्ति की जय जय जयकार हो | जय हो केदारनाथ बाबा की हम सब पर दया करिए |

Kedarnath Jyotirling: केदारनाथ के भक्त को मुक्ति कैसे मिली कैसे पहुंचा शिवलोक जरूर पढ़ें यह लेख - RATNGYAN

कैसे हुई बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना एवं रावण के पेशाब से बने तालाब का रहस्य जरूर पढ़ें | Baijnath Jyotirling Ki Sthapna and Ravan Ke Peshab Se Bana Talab |

निष्कर्ष:

कोई भी हिन्दुओं का आस्था का केंद्र हो हर जगह पर कुछ न कुछ वहां की अनोखी कहानियां जरूर होती हैं | किसी भी भक्त की आस्था यदि किसी देवी देवताओं में हो तो उनकी भक्ति करने से उनको पाया जा सकता है | उस भक्त के भाव ने तो 6 माह को एक दिन में ही केदारनाथ बाबा (भगवान शिव) ने अपनी माया से कर दिया | भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंग की अपनी अलग अलग कहानी हैं इनमें से केदारनाथ ज्योतिर्लिंग अद्भुत राह्स्यों से परिपूर्ण हैं | वैसे केदारनाथ धाम की कई कहानिया हैं जो भी भक्त केदारनाथ धाम की पूजा अर्चना करते हैं उनके ऊपर भगवान् शिव की कृपा बनी रहती है और अत्यधिक निष्ठा से प्रभु मिलते जरूर है | इसी सब कहानियों और कुछ करिश्माओं जैसे 2013 में आए त्रासदी के कारण भी इस मंदिर का बाल बांका भी नहीं हुआ के कारण  केदारनाथ को जागृत महादेव कहते हैं | इस लेख से यह यह निष्कर्ष निकलता है कि जो भक्त शिव जी को मानते हैं तो वें अवश्य दर्शन देते हैं | आशा करते हैं RATNGYAN वेबसाइट के द्वारा लिखी गयी लेख "केदारनाथ को जागृत महादेव क्यों कहते हैं? क्या है, इसके पीछे कहानी (Kedarnath Ko Jagrat Mahadev Ki Kahani In Hindi)" पढ़कर आप भी जागृत महादेव की कहानी जान गए होंगे |

डिस्क्लेमर: यहाँ पर लिखी गयी लेख / कहानी बिभिन्न धर्म गुरु, विद्वानों के कथनों पर आधारित हैं | इस लेख का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ आप सभी को जानकारी उपलब्ध करना है लेकिन इस लेख में कितनी सटीकता है इसकी दावा हमारा यह वेबसाइट, ब्लॉग नहीं करता है | यह लेख सिर्फ और सिर्फ जानकारी मात्र लिखी गयी है |

Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url