Religious Stories: जब माता सीता जी ने बनाया भोजन पर खाने कोई नहीं आया |

 Religious Stories: जब माता सीता जी ने बनाया भोजन पर खाने कोई नहीं आया

Religious_Stories_:_जब_माता_सीता_जी_ने_बनाया_भोजन_पर_खाने_कोई_नहीं_आया_|
Religious Stories जब माता सीता जी ने बनाया भोजन पर खाने कोई नहीं आया 

लंकापति रावण के वध करने के बाद जब अयोध्यापति प्रभु श्री रामचन्द्र जी की कीर्ति यश दूर-दूर तक फैल रहा था, और वह मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहलाने लगे थे | तभी एक दिन भोलेनाथ की इच्छा मर्यादा पुरूषोतम श्रीराम से मिलने की हुई। पार्वती जी को संग लेकर महादेव कैलाश पर्वत से उतर कर अयोध्या नगरी के रास्ते पर चल पड़े।

👉जब सीता जी को सिंदूर लगाते हुए हनुमान जी ने देखा तब जानिए क्या हुआ।

👉शिवलिंग पर काला तिल चढाने के फायदे, विधि एवं महत्व क्या है? (Shivling Par Kala Til Chadhane ke fayde Vidhi aur Mahatva)

भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती जी को अयोध्या आते देखकर प्रभु श्री सीताराम जी बहुत खुश हुए। माता जानकी ने उनका उचित आदर सत्कार किया और स्वयं भोजन बनाने के लिए भोजन कक्ष में चली गयी इसी बीच भगवान् भोलेनाथ जी ने प्रभु श्रीराम चन्द्र जी से पूछा कि आज आपके सेवक हनुमान जी दिखाई नहीं पड़ रहे हैं?

श्री रामचन्द्र जी बोले - वे बगीचे में हैं |

हनुमान जी से मिलने के लिए भगवान् भालेनाथ ने प्रभु श्रीरामचन्द्र जी से बगीचे में जाने की अनुमति मांगकर पार्वती जी के संग बगीचे में आ गए | बगीचे की खूबसूरती को देखकर उनका मन प्रफुल्लित हो गया | आम के एक घने वृक्ष के नीचे हनुमान जी दीन-दुनियां से बेखबर गहरी नींद में सोए थे और एक लय में खर्राटे से राम नाम की सुंदर ध्वनि उठ रही थी |

तभी आश्चर्यचकित होकर भगवान् भोलेनाथ और माता पार्वती एक दूसरे की ओर देखने लगे | माता पार्वती जी  मुस्करा उठी और वृक्ष की डालियों की ओर इशारा किया। राम नाम सुनकर पेड़ की डालियां भी झूमने लगी थी और इनके बीच से भी राम नाम उच्चारित हो रहा था।

भगवान् भोलेनाथ राम नाम की धुन में मस्त - मगन होकर खुद भी राम - राम कहकर नाचने गाने लगे | माता पार्वती जी ने भी अपने पति को ऐसा करते देखकर अपने कोमल पांव थिरकाने लगी | शिव जी और पार्वती जी के नृत्य से ऐसी झनकार उठी कि स्वर्गलोक के देवतागण भी आकर्षित होकर बगीचे में आ गए और राम नाम की धुन में सभी मस्त मगन हो गये |

माता सीता जी भोजन तैयार करके इन्तजार कर रही थीं लेकिन शाम तक कोई भी अतिथि नहीं आये तब सीता जी लक्ष्मण जी को बगीचे में भेजा | लक्ष्मण जी तो स्वयं को श्री राम का सेवक ही मानते थे, अतः बगीचे में आकर जब उन्होंने धरती पर स्वर्ग का नजारा देखा तो खुद भी राम नाम की धुन में झुम उठे।

महल में माता सीता जी परेशान हो रही थी की अभी तक भोजन ग्रहण करने कोई भी क्यों नहीं आया? उन्होंने प्रभु श्री रामचन्द्र जी से कहा कि हे प्रभु भोजन ठंडा हो रहा है चलिए हमलोग बगीचे से सभी को बुलाकर ले लाएं |

जब माता सीता एवं रामचन्द्र जी बगीचे में गए तो वहां राम नाम की गूँज मची हुई थी | गहरी नींद में हनुमान जी सो रहे थे और हनुमान जी के खर्राटे से अभी तक राम नाम का धुन निकल रहा था।

श्री सियावर राम चन्द्र जी इस दृश्य को देखकर भाव विभोर हो उठे और रामचन्द्र जी ने पवनसुत हनुमान जी को नींद से उठाकर प्रेमभरी आँखों से उनकी तरफ एकटक निहारने लगे।

हनुमान जी प्रभु को आते देख शीघ्रता से उठ खड़े हुए, नृत्य का समा भंग हो गया।शिव जी खुले कंठ से हनुमान जी की राम भक्ति की सराहना करने लगे। हनुमान जी संकुचाए लेकिन मन ही मन खुश हो रहे थे।श्री सियाराम ने भोजन करने का आग्रह भगवान शिव जी से किया।

सभी लोग राजमहल में भोजन करने के लिए चल पड़े। माता जानकी जी भोजन परोसने लगी। हनुमान जी को भी श्री रामचन्द्र जी ने पंक्ति में बैठने का आदेश दिया | हनुमान जी बैठ गए लेकिन आदत ऐसी थी की राम जी के भोजन करने के बाद ही सभी जन भोजन करते थे।

आज प्रभु श्री रामचन्द्र जी के आदेश से पहले भोजन करना पड़ रहा था और माता जानकी जी हनुमान जी को भोजन परोसती जा रही थी लेकिन हनुमान जी का पेट ही नहीं भर रहा था | सीता जी कुछ समय तक हनुमान जी को भोजन परोसती रही अंत में समझ गई कि इस तरह से तो हनुमान जी का पेट नहीं भरेगा |

उन्होंने तुलसी जी के एक पत्ते पर राम नाम लिखकर भोजन के साथ पवनसुत हनुमान जी को परोस दिया | तुलसी - पत्र खाते ही हनुमान जी को संतुष्टी मिली और वह भोजन खा कर उठ खड़े हुए।

भगवान भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर पवनसुत हनुमान जी को आशीर्वाद दिया कि आप की राम भक्ति युग युग तक याद किया जाएगा एवं आप संकट मोचन हनुमान जी कहलाएंगे। इसलिए ही हनुमान चालीसा में लिखा है – “संकट हरै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा”

🚩🙏 सनातन धर्म की जय 🙏🚩

Disclaimer: प्रस्तुत लेख Religious Stories: जब माता सीता जी ने बनाया भोजन पर खाने कोई नहीं आया | की सत्यता की पुष्टि RATNGYAN ब्लॉग एवं लेखक नहीं करते हैं अतः आप सभी पाठकों से अनुरोध हैं की ऐसी शिक्षाप्रद कहानियाँ सिर्फ और सिर्फ जानकारी मात्र है | 

Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url